ईरानी मूल के जर्मन नागरिक और अमेरिका के स्थायी निवासी जमशेद शर्माद को ईरान में फांसी दे दी गई है. उन पर आतंकवाद के आरोप थे, जिनका उनके परिवार ने खंडन किया था.अमेरिका के स्थायी निवासी जमशेद शर्माद को ईरान में मौत की सजा दे दी गई है. शर्माद को 2020 में ईरानी सुरक्षा बलों ने दुबई से अगवा कर लिया था. सोमवार को ईरान की न्यायपालिका ने बताया कि उन्हें फांसी दे दी गई है.
69 वर्षीय शर्माद उन ईरानी असंतुष्टों में से एक थे, जिन्हें हाल के वर्षों में या तो धोखे से या अगवा करके ईरान वापस लाया गया था. यह कदम तब उठाया गया जब तेहरान ने 2015 के परमाणु समझौते के टूटने के बाद नाराजगी दिखानी शुरू की थी.
शर्माद की फांसी ऐसे समय हुई है जब सिर्फ दो दिन पहले इस्राएल ने मध्य पूर्व में जारी युद्धों के बीच ईरान पर जवाबी हमला किया था. हालांकि, न्यायपालिका ने इस हमले से उनकी फांसी को सीधे तौर पर नहीं जोड़ा, लेकिन कहा कि वह "पश्चिमी खुफिया एजेंसियों, अमेरिका और बच्चों की हत्या करने वाली सरकार के आदेश पर" ईरान में कथित हमले कर रहे थे.”
न्यायपालिका की मिजान समाचार एजेंसी ने सोमवार सुबह उनकी मौत की पुष्टि की. हालांकि अधिक जानकारी नहीं दी गई. ईरान दुनिया में सबसे ज्यादा मौत की सजाएं देने वाले देशों में से एक है, आमतौर पर वहां सूर्योदय से पहले मौत की सजा दी जाती है.
क्या थे आरोप?
जमशेद शर्माद कैलिफोर्निया के ग्लेनडोरा में रहते थे. उन पर 2008 में एक मस्जिद पर हमले की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था. इस हमले में 14 लोग मारे गए थे, जिनमें पांच महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल थे. 200 से अधिक लोग घायल भी हुए थे. इसके अलावा, उन पर ईरान के एक संगठन, किंग्डम असेंबली ऑफ ईरान और इसके टोंडर आतंकवादी विंग के माध्यम से अन्य हमलों की साजिश रचने का भी आरोप था.
ईरान ने यह भी आरोप लगाया कि शर्माद ने 2017 में एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान ईरानी सेना के मिसाइल स्थलों की "गोपनीय जानकारी" का खुलासा किया था.
न्यायपालिका ने उनकी फांसी की घोषणा करते हुए कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद के समर्थकों के संबंध में ईश्वर से किया गया वादा पूरा होगा, और यह एक निश्चित वादा है." शर्माद को 2023 में मौत की सजा सुनाई गई थी.
उनके परिवार ने इन आरोपों का खंडन किया था और उन्हें छुड़ाने के लिए वे कई सालों से कोशिश कर रहे थे. हालांकि, टिप्पणी के लिए परिवार से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका.
ईरानी-अमेरिकी कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद, जिन्हें अमेरिकी अभियोजकों के अनुसार ईरान ने अमेरिका में मारने की कोशिश की थी, ने शर्माद की बेटी गजेल के अपने पिता के लिए किए गए संघर्ष की प्रशंसा की.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "वह इस्लामी गणराज्य की तानाशाही, अमेरिका और जर्मनी की तुष्टीकरण नीति और दुनिया की चुप्पी और उदासीनता के खिलाफ खड़ी हुईं."
अलीनेजाद ने आगे कहा, "इस्लामी गणराज्य शांति या कूटनीति की भाषा नहीं समझता. उनकी भाषा बंधक बनाना, फांसी देना, हत्या करना और मारना है."
2023 में जर्मनी ने शर्माद की मौत की सजा के बाद दो ईरानी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान के शर्माद के साथ किए गए व्यवहार को "नीच" करार दिया था और कहा था कि उन्हें "झूठे मुकदमे" का सामना करना पड़ा.
जर्मनी और अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को कहा, "हम लंबे समय से कहते आए हैं कि जिस तरह से ईरान मौत की सजा देता है, हम उसके विरोधी हैं. वह अक्सर मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है."
जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बाएरबॉक ने "ईरानी शासन द्वारा जमशिद शर्माद की हत्या" की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, "शर्माद को दुबई से अगवा कर ईरान लाया गया, वर्षों तक बिना निष्पक्ष मुकदमे के रखा गया, और अब उन्हें मार दिया गया है."
बाएरबॉक ने एक बयान में कहा, "हमने बार-बार तेहरान को साफ तौर पर बताया था कि जर्मन नागरिक को फांसी देने के गंभीर परिणाम होंगे." हालांकि, उन्होंने उन परिणामों पर विस्तार से नहीं बताया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शर्माद के खिलाफ चलाए गए मुकदमे को "बेहद अनुचित" करार दिया था, क्योंकि उन्हें स्वतंत्र वकील तक उपलब्ध नहीं कराया गया और "अपनी सफाई पेश करने का अधिकार" नहीं दिया गया.
एमनेस्टी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, "सरकार द्वारा नियुक्त वकील ने कहा था कि अगर परिवार ढाई लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान नहीं करता, तो वह शर्माद का अदालत में बचाव नहीं करेगा और केवल 'वहां बैठेगा."
हालांकि, एमनेस्टी ने यह भी कहा कि शर्माद ने ईरान के अंदर विस्फोटों की जिम्मेदारी लेने वाले किंग्डम असेंबली ऑफ ईरान और इसके टोंडर आतंकवादी विंग के लिए एक वेबसाइट चलाई थी, लेकिन उन्होंने बार-बार हमलों में शामिल होने से इनकार किया था.
शर्माद को अगवा करने से पहले ही ईरान ने निशाना बनाया था. 2010 में जारी एक अमेरिकी कूटनीतिक गोपनीय संदेश में शर्माद का जिक्र किया गया था. इस केबल में कहा गया था कि कैलिफोर्निया में ईरान ने उन्हें मारने के लिए एक हत्यारे को किराए पर लेने की कोशिश की थी.
केबल में लिखा था, "यह देश के बाहर सरकार के आलोचकों को डराने की कोशिशों में स्पष्ट वृद्धि को दिखाता है, और इससे पश्चिम में उन पत्रकारों, शिक्षाविदों और अन्य लोगों में डर पैदा हो सकता है, जिन्हें हाल तक सरकार से भौतिक खतरा महसूस नहीं होता था."
कैसे पकड़े गए शर्माद
2020 में, शर्माद अपने सॉफ्टवेयर कंपनी के व्यवसायिक सौदे के लिए भारत की यात्रा करने की कोशिश कर रहे थे और इसी दौरान दुबई में थे. कोरोना महामारी के दौरान विमान उड़ानों में आई रुकावट के बीच वह कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे.
शर्माद के परिवार के मुताबिक 28 जुलाई 2020 को उनसे आखरी बार संपर्क हुआ था. यह साफ नहीं है कि शर्माद को अगवा कैसे किया गया लेकिन ट्रैकिंग डेटा से पता चला कि शर्माद का मोबाइल फोन 29 जुलाई को दुबई से दक्षिण में अल ऐन शहर तक चला गया और फिर ओमान की सीमा पार कर गया. 30 जुलाई को ट्रैकिंग डेटा से पता चला कि फोन ओमानी बंदरगाह शहर सोहर तक पहुंच गया, जहां सिग्नल बंद हो गया.
दो दिन बाद, ईरान ने घोषणा की कि उसने शर्माद को "जटिल ऑपरेशन" के बाद पकड़ लिया है. जासूसी विभाग ने एक तस्वीर प्रकाशित की जिसमें शर्माद की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी. संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ द्वारा 2022 में की गई एक जांच में पाया गया कि ईरान द्वारा शर्माद की हिरासत "मनमानी" थी और उन्होंने तेहरान से उन्हें तुरंत रिहा करने का आग्रह किया था.
शर्माद का मामला हाल के वर्षों में ईरान द्वारा देश में वापस लाकर मार डाले गए असंतुष्टों में सबसे ताजा है. 2020 में ईरान ने निर्वासित पत्रकार रुहोल्लाह जम को फांसी दी थी, जिन्होंने 2017 के आर्थिक प्रदर्शनों को प्रेरित करने वाले ऑनलाइन अभियानों के अध्ययन के लिए ईरान में प्रवेश करने की कोशिश की थी. 2023 में, ईरान ने ईरानी-स्वीडिश दोहरी नागरिकता वाले फराजोल्लाह चाअब को फांसी दी थी, जिन्हें 2018 में एक सैन्य परेड पर हमले का मास्टरमाइंड बताया गया था और जिन्हें तुर्की से पकड़ा गया था.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)