लेबनान में इस्राएल हवा और जमीन, दोनों रास्तों से हमला कर रहा है. हिज्बुल्लाह के साथ जमीनी मुठभेड़ के अलावा इस्राएल हवाई बमबारी भी कर रहा है. इसे बीते दो दशकों में इस्राएल के सबसे सघन हवाई हमलों में से एक माना जा रहा है.लेबनान और गाजा, दोनों ही मोर्चों पर इस्राएली ऑपरेशन बीते दिन भी जारी रहा. लेबनान की जमीन पर इस्राएली सैनिकों और हिज्बुल्लाह मिलिटेंट्स के बीच आमने-सामने की लड़ाई हुई. समाचार एजेंसियों ने मुताबिक, इस कार्रवाई में इस्राएल के आठ सैनिक मारे गए और कई घायल हुए.
लेबनानी राजधानी बेरूत में इस्राएल के एक हवाई हमले में नौ लोगों के मारे जाने की खबर है. यह हमला 'इस्लामिक हेल्थ अथॉरिटी' के दफ्तर पर हुआ. स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले इस संस्थान को हिज्बुल्लाह चलाता है.
बेरूत में रातभर होते रहे धमाके
बीती रात बेरूत में बड़े स्तर पर धमाके हुए. समाचार एजेंसी एएफपी ने वहां से रिपोर्टिंग कर रहे अपने एक पत्रकार के हवाले से बताया कि रातभर कई धमाके सुनाई दिए और हमलों के कारण कुछ इमारतें हिलती-थर्राती सी दिखीं. बेरूत में हो रहे धमाकों की आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई दे रही है.
मध्यपूर्व में और उग्र हुए हालात, इस्राएल का लेबनान पर हमला
इस्राएली सेना ने घनी आबादी वाले दक्षिणी बेरूत के कई इलाकों में रह रहे लोगों को बाहर निकल जाने को कहा है. लेबनान की सरकारी 'नेशनल न्यूज एजेंसी' ने रातभर में बेरूत पर हुए हवाई हमलों की संख्या 17 बताई है. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, बेरूत के निवासियों ने हवाई हमले के बाद सल्फर जैसी गंध महसूस होने की बात कही.
लेबनान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने भी इस्राएल पर प्रतिबंधित फॉस्फोरस बम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. इस्राएली बमबारी के तेज होने की वजह से लेबनान में हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. समाचार एजेंसी एपी ने अपनी प्रेस टीम के हवाले से बताया कि 2 अक्टूबर की सुबह से ही सैकड़ों लोग लेबनान में हो रही बमबारी से भागकर सीरिया की ओर जाते दिखे.
इस्राएल और ईरान की एक-दूसरे को चेतावनी
2 अक्टूबर की सुबह इस्राएली सेना ने गाजा के दक्षिणी हिस्से में बसे शहर खान यूनिस में भी एक ऑपरेशन किया. गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इसमें 51 लोग मारे गए हैं और 82 लोग जख्मी हुए हैं. एपी के मुताबिक, यह हमला हवाई और जमीनी दोनों रूपों में हुआ.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दोहराया कि उनका देश पूरी तरह इस्राएल के साथ है, लेकिन ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमलों में समर्थन देने से उन्होंने इनकार किया. बीते दिनों ईरान ने इस्राएल पर करीब 180 मिसाइल दागे थे. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने इसे "आत्मरक्षा" बताया है.
ईरान ने किया ‘सबसे आधुनिक मिसाइलों’ का इस्तेमाल
इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने ईरान पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि तेहरान ने "बड़ी गलती की है और वह इसकी कीमत चुकाएगा." ईरान ने भी जवाबी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इस्राएल काउंटर अटैक करता है, तो वह अपनी प्रतिक्रिया और तेज करेगा.
कई देश अपने नागरिकों को लेबनान से निकाल रहे हैं
कई देश लेबनान से अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में जुटे हैं. इसमें ताजा नाम जापान का है, जो अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए दो विशेष विमान रवाना कर रहा है. जापान के एनएचके नेशनल टेलीविजन ने बताया कि दोनों विमान 4 अक्टूबर को जॉर्डन और ग्रीस पहुंट जाएंगे. लेबनान में जापान के करीब 50 नागरिक रहते हैं.
जर्मनी भी एक सैन्य विमान भेजकर लेबनान से अपने नागरिकों को बाहर निकाल रहा है. देश के रक्षा और विदेश मंत्रालय ने बताया कि जो लोग खासतौर पर खतरे में हैं, उन्हें बाहर निकाला जा रहा है. इससे पहले 30 सितंबर को भी जर्मनी का एक सैन्य विमान करीब 111 लोगों को बेरूत से बर्लिन लाया था. इनमें जर्मन राजनयिकों के परिवार और कई कर्मचारी शामिल थे.
ऑस्ट्रेलियाई विदेश विभाग ने भी बताया है कि उन्होंने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यावसायिक विमानों में 500 सीटें बुक कराई हैं. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने अपील की, "जो ऑस्ट्रेलियाई बाहर निकलना चाहते हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगी कि जो भी विकल्प उपलब्ध है, लीजिए. इंतजार मत कीजिए." बीते दिन भारत ने भी अडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को फिलहाल ईरान ना जाने की सलाह दी थी.
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ईरान और इस्राएल में विस्तृत संघर्ष की आशंका
आशंका है कि इस्राएल, ईरान पर जवाबी हमले की रूपरेखा बना रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस्राएल, ईरान के तेल और गैस संयंत्रों व ढांचों को निशाना बना सकता है. दोनों देश एक-दूसरे के सहयोगियों की आलोचना करते हुए चेतावनी भी दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत अमीर सईद ईरावनी ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस पर आरोप लगाया कि वे "आत्मरक्षा की आड़ में इस्राएल के जघन्य अपराधों को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं और सारा दोष ईरान पर डाल रहे हैं."
संयुक्त राष्ट्र में इस्राएल के राजदूत डैनी डैनन ने सुरक्षा परिषद से कहा कि "संघर्ष की तीव्रता कम करने की खोखली अपीलों का समय खत्म हो चुका है." उन्होंने कहा, "यह अब शब्दों का मामला नहीं रहा. ईरान दुनिया के लिए एक वास्तविक और मौजूदा खतरा है और अगर उन्हें रोका नहीं गया, तो मिसाइलों की अगली लहर केवल इस्राएल पर लक्षित नहीं रहेगी."
लेबनान में सैकड़ों ठिकानों पर इस्राएल का हमला
यूएन में लेबनान के राजदूत हादी हाखेम ने सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक में बोलते हुए कहा कि लेबनानी सरकार इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध नहीं चाहती. उन्होंने जोर दिया कि जिस समझौते के तहत 2006 में इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध खत्म हुआ था, उसे लागू करना ही मौजूदा जंग में इकलौता समाधान है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा अगस्त 2006 में मंजूर किए गए प्रस्ताव में 'रेजॉल्यूशन 1701' के तहत इस्राएल और लेबनान, दोनों के बीच युद्ध/आक्रामक बर्ताव को पूरी तरह खत्म करना, दोनों देशों के बीच तय हुई सीमा 'ब्लू लाइन' और लितानी नदी के बीच के हिस्से को डीमिलिटराइज्ड जोन बनाने जैसे लक्ष्य शामिल थे.
इसी का संदर्भ देते हुए लेबनान में यूएन पीसकीपिंग मिशन (यूएनआईएफआईएल) ने दक्षिणी लेबनान में इस्राएली सेना के दाखिल होने को रेजॉल्यूशन 1701 का उल्लंघन बताया है. 1 अक्टूबर को अपने बयान में यूएनआईएफआईएल ने कहा, "लेबनान में (सीमा पार कर) दाखिल होना लेबनानी संप्रभुता और भूभागीय अखंडता का उल्लंघन है. और, यह रेजॉल्यून 1701 का भी उल्लंघन है." पीसकीपिंग मिशन ने सभी पक्षों से इसके पालन की अपील की है और इसे क्षेत्रीय स्थिरता कायम करने की दिशा में जरूरी बताया है.
यूएन महासचिव ने की तनाव घटाने की अपील
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक में संघर्षविराम की अपील दोहराई. इस बैठक को इस्राएल और फ्रांस ने बुलाया था. गुटेरेश ने कहा कि एक ही हफ्ते में लेबनान की स्थितियां खराब से "काफी बदतर" हो गई हैं.
बीते दिन इस्राएली विदेश मंत्रा इस्राएल कात्स ने गुटेरेश को "अवांछित व्यक्ति" घोषित करते हुए उनके अपने यहां प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. इस्राएल का आरोप है कि गुटेरेश ईरान के मिसाइल हमलों की स्पष्ट तौर पर निंदा करने में नाकाम रहे. जर्मनी ने इस्राएल के इस कदम की आलोचना की है. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेबास्टियन फिशर ने कहा कि इस्राएल का यह कदम बहुत मददगार नहीं है क्योंकि "आखिरकार ज्यादा बातचीत की जरूरत है, ना कि बातचीत कम करने की."
इस बीच मध्यपूर्व में बढ़ते तनाव पर जी-7 देशों के नेताओं ने टेलिफोन पर एक आपातकालीन बातचीत की. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के दफ्तर द्वारा जारी बयान के मुताबिक, संगठन ने इस्राएल पर ईरान के मिसाइल हमलों की "सख्त निंदा" की. साथ ही, यह भी कहा कि विवाद का कूटनीतिक समाधान अब भी मुमकिन है.
एसएम/आरपी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)