जर्मनी में किस धर्म के लोगोंको कितनी छुट्टियां मिलती हैं?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में ईसाई, यहूदी, मुस्लिम समेत कई अन्य अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं. अब सवाल उठ रहा है कि जर्मनी में छुट्टियों को सब धर्मों की मान्यताओं के अनुसार कैसे बांटा जाए.जर्मनी के उत्तरी राज्य, श्लेषविग-होल्सटाइन में हाल में हुए एक समझौते ने बहस छेड़ दी है. यह समझौता राज्य के शिक्षा मंत्रालय और एक इस्लामी संगठन के बीच हुआ था. जिसके तहत मुसलमान स्टूडेंट और कर्मचारियों को रमजान और ईद-उल-अजहा के पहले दिन बिना वेतन की छुट्टी लेने की अनुमति दी गई थी. हालांकि कर्मचारियों को इस छुट्टी के पैसे नहीं मिलते.

हालांकि, यह एक सामान्य प्रशासनिक कदम था. लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया कि मुसलमानों को "अधिक छुट्टियां” दी जा रही हैं. जर्मनी के सबसे बड़े टेब्लॉयड अखबार ‘बिल्ड' ने लिखा, "श्लेषविग-होल्सटाइन में मुसलमानों को मिलेंगी अधिक छुट्टियां” और दावा किया कि अब मुसलमानों को छुट्टी के नए दिन मिलेंगे. एक अन्य अखबार ‘दी वेल्ट' ने भी यही बात दोहराई और इन्हें "दो अतिरिक्त मुस्लिम छुट्टियां” करार दिया.

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इस्लामिक अध्ययन करने वाली विशेषज्ञ, सुजान श्रोएटर ने वेल्ट टीवी पर कहा कि यह "सिर्फ मुसलमानों के लिए दो अतिरिक्त छुट्टियां” हैं. उनका तर्क था कि मुसलमानों को वैसे भी ईसाई छुट्टियों का लाभ मिलता है. ऐसे में अगर अन्य धर्म वालों को भी ऐसी छुट्टियां नहीं मिलती हैं, तो यह "अन्यायपूर्ण” महसूस हो सकता है.

हालांकि, कानूनी और इस्लामी मामलों के विशेषज्ञ माथियास रोह ने इस विवाद को बेवजह बताया. उन्होंने कहा कि यह नियम "कानूनी रूप से पूरी तरह सामान्य” है. यह धार्मिक स्वतंत्रता के पुराने कानून पर ही आधारित है और यह कुछ नया नहीं है.

शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी स्पष्ट किया कि मुसलमानों को कोई "अधिक छुट्टियां” नहीं दी जा रही हैं. बल्कि यह समझौता पहले से चली आ रही प्रथा को ही औपचारिक रूप देता है. यह कोई नया अधिकार नहीं देता है.

एकीकरण और समानता

कील में उठाया गया यह छोटा-सा कदम जर्मनी में सांस्कृतिक पहचान को लेकर चल रही बड़ी बहस को दिखाता है. जर्मनी में कुछ कानूनी छुट्टियां तय हैं. जैसे कि तीन अक्टूबर को मनाया जाने वाला जर्मनी का एकीकरण दिवस, जो पूरे देश में समान रूप से मनाया जाता है.

लेकिन कई छुट्टियां, जैसे क्रिसमस और ईस्टर अलग-अलग राज्यों के नियमों के अनुसार होती हैं. हालांकि, यह नियम दशकों पहले बनाए गए थे. लेकिन अब जर्मनी की धार्मिक विविधता बदल चुकी है.

अब यह सिद्धांत मुस्लिम त्योहारों पर भी लागू किया जा रहा है. श्लेषविग-होल्सटाइन राज्य में रमजान और ईद-उल-अजहा के पहले दिन, कर्मचारी, सरकारी अधिकारी और छात्र बिना वेतन छुट्टी ले सकते हैं. हालांकि, यह व्यवस्था राज्य के अवकाश कानून तथा शिक्षा नियमों के अनुरूप ही है.

धार्मिक स्वतंत्रता की ओर एक कदम

इस कारण विशेषज्ञ माथियास रोह ने कील समझौते को "छुट्टियों के नियमों के हिसाब से बिल्कुल सामान्य” बताया. उनका कहना है कि यह पहले से चली आ रही कानूनी परंपरा पर आधारित है. यह मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को सम्मान देता है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लिखित रूप में स्पष्ट होना अधिकारियों और संस्थानों के लिए अच्छा है, क्योंकि बहुत लोगों को ऐसे नियमों की जानकारी नहीं होती.

बर्लिन में स्थित शिक्षा मंत्रियों के स्थायी परिषद के अनुसार, शिक्षा नीति हर राज्य खुद तय करता है. आम तौर पर छात्रों को अपने धार्मिक त्योहारों पर स्कूल से छुट्टी लेने की अनुमति होती ही है.

जैसे बवेरिया में यहूदी छात्रों को पांच धार्मिक त्योहारों के लिए (लगभग 10 दिनों की) छुट्टी मिलती है. दूसरी ओर, मुस्लिम छात्रों को भी दो त्योहारों के लिए (अधिकतम 4 दिनों की) छुट्टी दी जाती है. और ऑर्थोडॉक्स ईसाई छात्रों को सात त्योहारों के लिए छुट्टी मिल सकती है.

हालांकि, ज्यादातर राज्यों में ऐसे ही नियम हैं, लेकिन कहीं-कहीं कुछ अंतर भी हैं. जैसे हैम्बर्ग और राइनलैंड-पलैटिनेट राज्यों में अलेवी त्योहारों को भी मान्यता दी गई है. जबकि थुरिंजिया में सिर्फ ईसाई त्योहारों को मान्यता मिली है.

यही कारण है कि जर्मनी का फेडरल ऑफिस फॉर माइग्रेशन एंड रिफ्यूजीस, हर साल एक सांस्कृतिक कैलेंडर प्रकाशित करता है. जिसमें अलग-अलग धर्मों के त्योहार शामिल होते हैं ताकि स्कूल और परिवार बेहतर योजना बना सकें.

जबकि कुछ राज्य, जैसे नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया और बर्लिन, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है. वहां भी धार्मिक छुट्टियों के लिए इसी तरह के दिशा-निर्देश दिए जाते हैं.

हालांकि, टिक्वाह इंस्टीट्यूट, जो यहूदी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है. उसने सुझाव दिया है कि विश्वविद्यालयों को यहूदी त्योहारों को ध्यान में रखकर परीक्षा की तिथियां तय करनी चाहिए.

मुस्लिम केंद्रीय परिषद: कोई विशेष सुविधा नहीं

जर्मनी की मुस्लिम केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष, अब्दस्समद अल-यजीदी ने कहा कि यह फैसला मुसलमानों को विशेष लाभ देने के बारे में नहीं है. इसका मकसद केवल यह है कि उन्हें धार्मिक रूप से अहम दिनों पर छुट्टी मांगने की अनुमति मिले, बिल्कुल वैसे ही जैसे अन्य गैर-ईसाई धर्मों के लोग कर सकते हैं.

साथ ही उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कुछ मीडिया वाले और लोग इसका इस्तेमाल मुस्लिमों के खिलाफ पूर्वाग्रह फैलाने के लिए कर रहे हैं. कुछ दिनों बाद जर्मनी के मशहूर अखबार ‘बिल्ड' ने फिर इस मुद्दे को उठाया और लिखा, "सरकारी घोषणा पर हुआ हंगामा: मुसलमानों को मिली अधिक छुट्टियां? असल में मामला क्या है.” इस आर्टिकल में अखबार ने स्पष्ट किया कि मुसलमानों को इससे कोई कामकाजी लाभ नहीं मिल रहा है.