ताइवान के ऐतिहासिक दौरे पर जर्मन मंत्री
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी की शिक्षा मंत्री, कई दशकों बाद ताइवान जाने वाली पहली जर्मन कैबिनेट मंत्री हैं. यूक्रेन युद्ध के बीच बीजिंग की आपत्तियों को अनदेखा कर बेटिना स्टार्क-वाटत्सिंगर ने ताइपे में कदम रखे हैं.अंतरराष्ट्रीय राजनीति इस वक्त नेताओं के तूफानी दौरे देख रही है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस में हैं, तो उनके पड़ोसी देश जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा यूक्रेन में हैं. किशिदा, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की तरह नई दिल्ली से सीधे कीव के लिए रवाना हुए. दो एशियाई देशों के शीर्ष नेता जहां युद्ध में उलझे देशों के दौरे पर हैं, तो वहीं जर्मनी की शिक्षा मंत्री बेटिना स्टार्क-वाटत्सिंगर, तनाव झेल रहे ताइवान में हैं.

दो दिवसीय दौरे पर जर्मन कैबिनेट मंत्री मंगलवार को ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचीं. उनके ताइवान दौरे को लेकर बीजिंग ने जर्मनी के सामने कूटनीतिक विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन इससे प्लान में कोई तब्दीली नहीं आई. ताइवान की राजधानी में स्टार्क-वाटत्सिंगर ने कहा, "मेरे लिए ये बड़ी खुशी और सम्मान की बात है कि खास सरकारी विभाग की मुखिया के तौर पर 26 साल में ताइवान आने वाली मैं पहली मंत्री हूं."

विज्ञान और तकनीक में गहराता सहयोग

इस दौरान जर्मनी और स्वशासित ताइवान विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में कई द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तखत करेंगे. जर्मन मंत्री ने कहा, "यह लोकतांत्रिक मूल्यों, पारदर्शिता, खुलापन, पारस्परिक और वैज्ञानिक आजादी की नींव पर सहयोग को बढ़ाने का अवसर है."

उनके साथ मौजूद ताइवान के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री त्सुंग-त्सोंग वू ने कहा कि जर्मन मंत्री का दौरा दिखाता है कि बर्लिन ताइवान को एक "अनमोल सहयोगी" के रूप में देखता है.

चीन पर निर्भरता घटाने में कितना गंभीर है जर्मनी

ताइवानी अधिकारी ने कहा, "अगर हम ताइवान की चिप प्रोडक्शन क्षमता को जर्मनी की बायोमेडिसिन और ऑटोमोबाइल्स जैसी एडवांस इंस्ट्रीज के साथ मिला दें तो यह अगले 10, 20 या फिर 30 साल के लिए एक सबकी जीत वाला सहयोग होगा."

चिप मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से ताइवान दुनिया में सबसे आगे है. मौजूदा दौर में इन चिपों के बिना बढ़िया इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कल्पना नहीं की जा सकती. ऐसी भी खबरें हैं कि ताइवान की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी टीएएमसी, जर्मनी के पूर्वी राज्य सैक्सोनी में एक प्लांट लगाने के लिए बातचीत भी कर रही है.

ताइवान दौरे की अहमियत

जर्मन मंत्री ने ताइवान का दौरा ऐसे वक्त में किया है जब वहां तनाव है. चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग कहता है. बीजिंग का दावा है कि एक दिन ताइवान को राजनीतिक रूप से चीन में मिला लिया जाएगा. वहीं ताइवान को खुद स्वशासित देश कहता है. यूक्रेन पर रूसी हमले और चीन में शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से ताइवान की सुरक्षा एक संवेदनशील मुद्दा बन चुकी है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक चीन ताइवान को सैन्य ऑपरेशन के जरिए खुद में मिलाने की तैयारी कर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन की चेतावनी देते हुए कह चुके हैं कि वह ताइवान के मामले में बल प्रयोग करने की ना सोचे. वहीं बीजिंग ताइवान को अपनी अंदरूनी मामला बताते हुए अमेरिका को आग से ना खेलने की चेतावनी दे रहा है.

चीन ने हमला किया तो ताइवान को बचाएगा अमेरिका: बाइडेन

अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के कई नेता पिछले कुछ समय से लगातार ताइवान का दौरा कर रहे हैं. इन दौरों के जरिए ताइवान को भरोसा और चीन को संदेश दिया जा रहा है.

जर्मनी के ताइवान के साथ कोई कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं. हाल ही में जर्मन विदेश मंत्रालय ने "वन चाइना पॉलिसी" को मानने की बात दोहराते हुए कहा कि चीन के साथ बर्लिन के कूटनीतिक रिश्ते जरूर हैं, लेकिन ताइवान के साथ भी जर्मनी के करीबी अनौपचारिक ताल्लुकात हैं.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)