चीन में कोविड-19 महामारी की रोकथाम में चार विशेषज्ञों ने लिए निर्णायक फैसले, पूरी दुनिया के लिए बन सकते हैं सबक
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Photo Credits: Getty)

बीजिंग: कोविड-19 (Coronavirus) महामारी के मुकाबले में चीन के चार चोटी स्तरीय चिकित्सक विशेषज्ञों ने चार निर्णायक फैसले किये, जिन्होंने देश में महामारी के फैलाव को नियंत्रित करने में असाधारण योगदान दिया. वे चार विशेषज्ञ हैं : महामारी की रोकथाम में पहली पंक्ति में लड़ाई लड़ने वाले 84 वर्षीय चोंग नान शान, चीनी इंजीनियरिंग अकादमी की सदस्य 73 वर्षीय ली लानछ्येन, चीनी चिकित्सा विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष वांग छन और चीनी परंपरागत चिकित्सा अकादमी के मानद अध्यक्ष चांग पोली. कोविड-19 के साथ लड़ाई के वे महावीर हैं जिन्होंने अपने पेशेवर ज्ञान और बुद्धिमत्ता से संकटपूर्ण स्थिति को बदलने में अत्यंत अहम भूमिका निभायी.

चुंग नानशान ने चीन में सबसे पहले वुहान में वायरस के मनुष्य से मनुष्य तक फैलने का निष्कर्ष निकाला. 18 जनवरी 2020 की रात चुंग नानशान घर से भीड़भाड़ वाले क्वांग चो हाई स्पीड रेलगाड़ी रेलवे स्टेशन पहुंचे. वे जल्दबाजी में घर से निकले थे, यहां तक कि उन्होंने अपने साथ गर्म कपड़े भी नहीं लाए थे ,क्योंकि उनको वुहान जाने की आपात सूचना मिली थी. उनको लगता था कि असाधारण बात हुई है. उस दिन वुहान में अकारण निमोनिया मरीजों की संख्या 59 तक पहुंची थी. यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस ने चीन को सिखाया सबक, शेन्जेन शहर में कुत्ते और बिल्ली के मांस खाने पर लगा बैन

20 जनवरी को उन्होंने शिनहुआ न्यूज एजेंसी के साथ एक बातचीत में वुहान में वायरस की रोकथाम पर अपना सुझाव रखा यानी वुहान को रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे में सख्त कदम उठाना चाहिए. सब से पहले शारीरिक ताप की जांच करनी है. अगर किसी को बुखार है ,तो उसे अलग रखा जाना चाहिए. जरूरी काम के अलावा बाहर के लोग वुहान न आएं और वुहान के लोग बाहर न जाएं. वर्ष 2003 महामारी सार्स के मुकाबले में चोंग नानशान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. इस साल उन्होंने नाजुक समय में फिर निर्णायक भूमिका निभायी.

73 वर्षीय ली लानछ्येन चीनी इंजीनियरिंग अकादमी की सदस्य ,च च्यांग विश्वविध्यालय के अधीन पहले अस्पताल के संक्रमणकारी रोग निदान पर राष्ट्रीय महत्वपूर्ण प्रयोगशाला की निदेशक हैं. 18 जनवरी को वे चोंग नानशान समेत 6 विशेषज्ञों के साथ वुहान गयीं थीं. महामारी के बारे में पड़ताल करने के बाद उन्होंने 22 जनवरी को केंद्रीय सरकार को सुझाव दिया कि वुहान को सील करना बहुत जरूरी है. 23 जनवरी को केंद्रीय सरकार ने नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वुहान और उस के आसपास के शहरों को लॉकडाउन करने की घोषणा की. यह  भी पढ़ें: कोरोना वायरस संकट के बीच चीन का लापरवाह रवैया, एक बार फिर वुहान स्थित मार्केट में बिकने लगे चमगादड़, पैंगोलिन, कुत्ते और दूसरे जानवरों के मांस

1 फरवरी को श्वास और गंभीर बीमारी चिकित्सा शास्त्र के विशेषज्ञ ,चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के उपाध्यक्ष और चीनी चिकित्सा विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष वांग छन वुहान पहुंचे. वुहान की स्थिति पर अध्ययन करने के बाद वांग छन ने बताया कि वर्तमान में नाजुक काम पुष्ट हुए मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना है और उन को अलग करना है. हल्के रूप से संक्रमित मरीजों को अस्थाई अस्पताल में भर्ती कराना है. उन्होंने जल्दी से अस्थाई अस्पताल स्थापित करने का सुझाव रखा. वांग छन ने दो टूक बात कहा कि पहले संक्रमण स्रोत को नियंत्रित करने की असफलता का कारण सामाजिक और पेशेवर निपटारे का अभाव है.

चांग पोली ने चिकित्सक इलाज में सब से पहले चीनी परंपरागत चिकित्सा और पश्चिमी चिकित्सा को जोड़ने का सुझाव किया, जिसने इलाज की मुख्य दिशा को स्पष्ट की. चांग पोली चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के सदस्य ,थ्येन चिन परंपरागत चिकित्सा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और चीनी परंपरागत चिकित्सा कॉलेज के मानद अध्यक्ष हैं. लक्षित दवा और टीका नहीं होने की स्थिति में उन्होंने इलाज में चीनी परंपरागत चिकित्सा की भागीदारी को बढ़ा दिया. उस समय वुहान की स्थिति बहुत जटिल थी. मरीज और गैर मरीज साथ साथ थे. यह भी पढ़ें: यूपी के लखीमपुर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ शिकायत दर्ज, कोरोना वायरस फैलाने का आरोप

27 जनवरी की रात चांग पोली ने एक बैठक में सुझाव दिया कि मरीजों की स्थिति के मुताबिक विभिन्न वर्गों के लोगों के प्रति विभिन्न प्रबंधन किया जाए और उनको अलग किया जाए और इलाज में चीनी परंपरागत दवाइयों का प्रयोग किया जाए. कोविड-19 के निपटारे पर केंद्रीय निर्देशक ग्रुप ने फौरन ही चांग पोली का सुझाव स्वीकार किया .