Sahara Desert Flood Video: 50 साल में पहली बार सहारा रेगिस्तान में आई बाढ़, जानें  मोरक्को में क्यों हुई इतनी बारिश?

उत्तर अफ्रीका के मोरक्को में स्थित दुनिया के सबसे बड़े और सूखे रेगिस्तान, सहारा में 50 साल बाद पहली बार बाढ़ आई है. आमतौर पर बेहद सूखा रहने वाला यह क्षेत्र इस समय अप्रत्याशित मौसम का सामना कर रहा है. मोरक्को की मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, टैगोउनाइट (Tagounite) गांव में महज 24 घंटों में वार्षिक औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे पूरे दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.

क्यों आई सहारा में बाढ़?

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, यह घटना "एक्सट्राट्रॉपिकल स्टॉर्म" यानी असामान्य तूफान का परिणाम है, जिसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जोड़ा जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सहारा जैसी जगह पर इतनी बारिश की घटना दशकों में नहीं देखी गई है. मोरक्को के अधिकारियों के अनुसार, 30 से 50 साल में पहली बार इतनी कम अवधि में इतनी भारी बारिश हुई है.

बाढ़ से जान-माल का नुकसान 

बाढ़ का असर पिछले महीने से देखा जा रहा है, जिसमें अब तक 18 लोगों की मौत की खबर है. दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों के गांवों में पानी भर गया है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सहारा के सूखे इलाकों में इस तरह की बारिश दुर्लभ मानी जाती है, और यह बाढ़ न केवल स्थानीय आबादी बल्कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप की जलवायु चुनौतियों के लिए चिंता का कारण बन गई है.

जलवायु परिवर्तन की भूमिका

विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ते तापमान के कारण जलचक्र में अस्थिरता आ रही है. विश्व मौसम संगठन की महासचिव सेलेस्ट साउलो ने बताया कि,

"गर्म वातावरण में नमी अधिक समय तक रुकती है, जिससे भारी वर्षा की संभावना बढ़ जाती है. दूसरी ओर, तेजी से वाष्पीकरण और मिट्टी के सूखने से सूखे की स्थिति भी गंभीर हो रही है. हम या तो बहुत अधिक पानी से जूझते हैं या पानी की भारी कमी का सामना करते हैं."

सहारा और जलवायु के बदलते पैटर्न

9 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैले सहारा रेगिस्तान का विस्तार उत्तरी और मध्य अफ्रीका में होता है. जहां एक तरफ सहारा का विस्तार कई देशों के लिए खतरा बना हुआ है, वहीं अब भारी बारिश और बाढ़ ने नई जलवायु चुनौतियों को जन्म दे दिया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर जलवायु परिवर्तन पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वर्षों में ऐसे अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन और भी बढ़ सकते हैं.

सहारा जैसी शुष्क जगह पर बाढ़ आना बताता है कि जलवायु परिवर्तन अब किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा. यह घटना सिर्फ स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया को चेतावनी देती है कि अगर अब भी कार्बन उत्सर्जन और जलवायु के प्रति लापरवाही जारी रही, तो आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना और कठिन हो जाएगा.