Farmers Protest: भारतीय किसान आंदोलन को ब्रिटेन के 36 सांसदों का मिला समर्थन, विदेशी सिख किसानों जरिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने का किया आग्रह

लेबर पार्टी के तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में ब्रिटेन के 36 सांसदों का एक धड़ा भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में सामने आया है. इसने ब्रिटिश विदेश सचिव डॉमिनिक रैब से इस मामले को नई दिल्ली के साथ उठाने के लिए कहा है. साथ ही सरकार ने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है.

लेबर पार्टी तनमनजीत सिंह धेसी (Photo Credits: Getty Images)

चंडीगढ़, 5 दिसंबर: लेबर पार्टी के तनमनजीत सिंह धेसी (Tanmanjeet Singh Dhesi) के नेतृत्व में ब्रिटेन के 36 सांसदों का एक धड़ा भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में सामने आया है. इसने ब्रिटिश विदेश सचिव डॉमिनिक रैब से इस मामले को नई दिल्ली के साथ उठाने के लिए कहा है. सांसदों ने रैब को हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत पर दबाव बनाने के लिए कहा है, जो किसानों और खेती पर निर्भर लोगों का 'शोषण' करने वाले हैं. साथ ही उन्होंने विदेश सचिव से पंजाब और विदेशों में सिख किसानों के समर्थन के जरिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने का आग्रह किया है.

अपने पत्र में धेसी ने लिखा है कि पिछले महीने कई सांसदों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग को तीन नए कृषि कानूनों के प्रभावों के बारे में लिखा था. यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है, हालांकि यह अन्य भारतीय राज्यों पर भी असर डालता है. पत्र में कहा गया है, "पंजाबी समुदाय को राज्य की आर्थिक संरचना की रीढ़ माना जाता है." इसमें पंजाब में 'बिगड़ती' स्थिति और केंद्र सरकार के साथ इसके संबंधों पर चर्चा करने के लिए भी रैब से आग्रह किया.

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धेसी ने एक ट्वीट में कहा, "कई राज्यों विशेष रूप से पंजाब से आने वाले लोगों ने, भारत में कृषि कानून 2020 का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सांसदों से संपर्क किया है. दर्जनों सांसदों ने इसके लिए विधिवत रूप से क्रॉस-पार्टी पत्र पर हस्ताक्षर किए और शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों के लिए न्याय की मांग की."

बता दें कि किसानों ने दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमाओं पर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है. किसान इस साल संसद में पारित हुए 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आशंका जताई है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉपोर्रेट घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे. वहीं सरकार का कहना है कि नए कानून किसानों को बेहतर मौके देंगे. साथ ही सरकार ने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है.

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