नई दिल्ली: चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिआनजिन में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में स्वागत किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि यह सम्मेलन एकजुटता, दोस्ती और ठोस परिणामों का संगम होगा, जो SCO को विकास के नए चरण में ले जाएगा. 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री मोदी का यह पहला चीन दौरा है, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच होगा. यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में एक बड़ा कदम मानी जा रही है. इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर जून में SCO मंत्रीस्तरीय बैठकों में शामिल हो चुके हैं.
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मई 2020 में गलवान घाटी की झड़प ने भारत-चीन संबंधों को दशकों के निचले स्तर पर पहुंचा दिया था. इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन की ओर से भी हताहत होने की खबरें आई थीं. इसके बाद दोनों देशों के बीच लंबा सैन्य और कूटनीतिक गतिरोध बना रहा.
कजान में हुई अहम मुलाकात
अक्टूबर 2024 में कजान में हुए 16वें ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने का काम किया. इस बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा क्षेत्रों से पूर्ण रूप से सैन्य पीछे हटाने और 2020 के गतिरोध से जुड़े मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई.
दोस्ती की नई शुरुआत?
पीएम मोदी के इस दौरे से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को फिर से रफ्तार मिलेगी. चीन की ओर से साफ संकेत दिए गए हैं कि वे इस समिट को “दोस्ती और सामूहिक विकास” का प्रतीक बनाना चाहते हैं. भारत की तरफ से भी संकेत है कि मतभेदों को संवाद से सुलझाना और सीमाई इलाकों में शांति बनाए रखना ही आगे का रास्ता है.













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