बर्लिन में बदलती रणनीति: रूस के खिलाफ अब यूरोप सिर्फ दर्शक नहीं
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की 28 मई 2025, बुधवार को जर्मनी आ रहे हैं, जहां वह हाल ही में देश के चांसलर बने फ्रीडरिष मैर्त्स से मुलाकात करेंगे. यह दौरा यूरोपीय राजनीति में आ रहे बदलावों का संकेत भी देता है.जब से मैर्त्स ने मई की शुरुआत में चांसलर का पद संभाला है, उन्होंने रूस को लेकर जर्मनी की नीति में निर्णायक बदलाव लाने का संकल्प लिया है. बुधवार को जेलेंस्की मैर्त्स के सत्ता में आने के बाद पहली बार बर्लिन पहुंच रहे हैं, और इसे लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं, जिन्हें सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं किया गया था. यह यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है तब रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन हमलों में कमी नहीं आई है.

सरकारी प्रवक्ता स्टेफान कोर्नेलियस ने बताया कि जेलेंस्की को चांसलरी में सैन्य सम्मान के साथ स्वागत दिया जाएगा, जिसके बाद मैर्त्स और जेलेंस्की के बीच विस्तृत बातचीत और एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी. इसके बाद दोनों नेता एक कार्यकारी भोज में द्विपक्षीय संबंधों और युद्धविराम के प्रयासों पर चर्चा कर सकते हैं. शाम को जेलेंस्की जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वॉल्टर श्टाइनमायर से बेलव्यू पैलेस में मिलेंगे, जहां उनका औपचारिक स्वागत भी किया जाएगा.

मैर्त्स की "रणनीतिक अस्पष्टता"

इस मुलाकात के केंद्र में रूस-यूक्रेन युद्ध और उसमें जर्मनी की भूमिका है. मैर्त्स के सत्ता में आने के बाद बर्लिन की भाषा में बड़ा बदलाव आया है. जहां पूर्व चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सरकार लंबी दूरी की टॉरस क्रूज मिसाइल जैसे हथियारों की आपूर्ति से हिचक रही थी, वहीं मैर्त्स ने खुले तौर पर ऐसे हथियारों की डिलीवरी का समर्थन किया है. हालांकि उनकी सरकार अब यह खुलासा नहीं करती कि यूक्रेन को क्या भेजा जा रहा है. इसे मैर्त्स ने "रणनीतिक अस्पष्टता" कहा है.

मैर्त्स ने कहा है कि यूक्रेन पर अब मिसाइलों की रेंज की कोई सीमा लागू नहीं है और वह रूस के भीतर ठिकानों पर हमला कर सकता है. बर्लिन में आयोजित डब्ल्यूडीआर यूरोपियन फोरम में बोलते हुए मैर्त्स ने कहा, "यूक्रेन अब उन सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है जहां से रूसी मिसाइलें दागी जाती हैं. यह कुछ समय पहले तक संभव नहीं था.” इस बयान ने संकेत दिया कि अब जर्मनी हथियारों की सीमा नहीं तय कर रहा. अब तक अमेरिका और फ्रांस ने ऐसी नीति अपनाई थी. फ्रांस और जर्मनी पहले भी कह चुके हैं कि यूक्रेन को कम से कम उन रूसी सैन्य ठिकानों पर हमला करने की अनुमति होनी चाहिए जहां से सीधा हमला किया जा रहा है.

मैर्त्स के बयान पर रूस की तुरंत और तीखी प्रतिक्रिया आई. क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "ये निर्णय यदि लिए गए हैं, तो ये राजनीतिक समाधान की हमारी आकांक्षाओं के खिलाफ जाते हैं. ये काफी खतरनाक कदम हैं.” हालांकि एक जर्मन अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह कोई नई नीति नहीं है, बल्कि जर्मनी की पुरानी स्थिति ही है जिसे अब स्पष्ट किया गया है.

ट्रंप का असामान्य हस्तक्षेप

जेलेंस्की की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब युद्ध चौथे साल में प्रवेश कर चुका है और रूस ने हाल ही में यूक्रेन पर अपने सबसे भीषण मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं. पश्चिमी समर्थन के बीच, यूक्रेन और रूस के अधिकारियों के बीच तीन वर्षों में पहली बार सीधी बातचीत भी हुई है, लेकिन रूस के रुख में कोई नरमी नहीं आई है. व्लादिमिर पुतिन पर आरोप है कि वह शांति वार्ता को जानबूझकर टाल रहे हैं और क्रेमलिन अब भी अपने रुख पर अड़ा है.

इसी बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पर एक असामान्य और तीखी टिप्पणी की. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, "मैं हमेशा रूस के व्लादिमिर पुतिन के साथ अच्छे संबंधों में रहा हूं, लेकिन अब कुछ तो हुआ है. वह पूरी तरह पागल हो गया है!” यह बयान ट्रंप के सामान्य रुख से काफी अलग था, जो अक्सर पुतिन के प्रति नरम रहा है. क्रेमलिन ने इस बयान को हल्के में लेते हुए कहा कि "हर कोई इस समय भावुक है” और पुतिन "रूस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं.”

इस बीच, मैर्त्स ने लिथुआनिया में भी यह स्पष्ट किया कि जर्मनी नाटो की पूर्वी सीमा की रक्षा को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, "रूस से हम सभी के लिए खतरा है.” लिथुआनिया में एक टैंक ब्रिगेड की तैनाती इस बात का प्रमाण है कि जर्मनी अब अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने और यूरोप की "सबसे मजबूत पारंपरिक सेना" बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है.

जेलेंस्की की बर्लिन यात्रा केवल एक औपचारिक राजनयिक संवाद नहीं थी, यह उस बदलाव की गूंज थी जो यूरोप में धीरे-धीरे आकार ले रहा है. मैर्त्स ने स्पष्ट कर दिया है कि जर्मनी अब कोई मूक दर्शक नहीं रहेगा.