शिकागो: अमेरिकी नागरिकों से कॉल सेंटर के जरिए धोखाधड़ी करके लाखों डॉलर ठगने के मामले में 15 लोगों और भारत की पांच बीपीओ कंपनियों को शुक्रवार को आरोपित किया गया. इन 15 लोगों में भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं. अमेरिका में गुरूवार को घोटाले में संलिप्तता के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस घोटाले में दो हजार से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों से करीब 55 लाख अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी की गई थी.
अधिकारियों ने बताया कि मोहम्मद काजिम मोमीन, पलक कुमार पटेल, मोहम्मद सोजेब मोमीन, रॉड्रिगो लियोन-कैस्टिलो, डेविन ब्रैडफोर्ड पोप, निकोलस एलेज़ेंडर डीन, ड्रू केली रिग्गीन और जे पेरिश मिलर को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें शुक्रवार को अमेरिकी मजिस्ट्रेट जेनेट एफ किंग के समक्ष आरोपित किया गया.
उन्होंने बताया कि सात प्रतिवादियों और भारत के पांच कॉल सेंटरों को उनकी कथित संलिप्तता के लिए आरोपित किया गया है. अमेरिकी अटॉर्नी ब्यूंग जे पाक ने कहा कि इन लोगों को आरोपित करने और कल की गई गिरफ्तारियों से फोन से किए गए इस घोटाले के पीछे के लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की हमारी प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है.
कर प्रशासन में वित्त महानिरीक्षक जे रसेल जॉर्ज ने बताया कि पांच कॉल सेटरों और भारत के सात सह षडयंत्रकारियों को आरोपित करने से यह साफ हो गया है कि आईआरएस प्रतिरूपण घोटाला एक नए स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि इन षडयंत्रकारियों ने अपने कर्मचारियों को घोटाले में शामिल होने के कथित रूप से निर्देश थे.
आरोप में कहा गया है कि भारत के अहमदाबाद स्थित कॉल सेंटरों के एक नेटवर्क समेत सह षडयंत्रकारियों की एक योजना में प्रतिवादी शामिल थे. वर्ष 2012 से 2016 के बीच अहमदाबाद में स्थित कॉल सेंटरों से इंटरनल रेवन्यू सर्विस (आईआरएस) या यूएस सिटिजन एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) के अधिकारी बनकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी की और धन शोधन किया.