वैज्ञानिकों ने बनाया मक्खी के मस्तिष्क का महीन नक्शा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक मक्खी के मस्तिष्क का ऐसा महीन नक्शा तैयार किया है, जिसमें सवा लाख से ज्यादा न्यूरॉन्स नजर आ रहे हैं.न्यूरोबायोलॉजिकल अनुसंधान के क्षेत्र में विज्ञान को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है. वैज्ञानिकों ने एक वयस्क मक्खी (फ्रूट फ्लाई) के पूरे मस्तिष्क का नक्शा तैयार किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह उपलब्धि इंसानों समेत सभी प्राणियों के मस्तिष्क के बारे में अहम जानकारी हासिल करने की दिशा में एक कदम हो सकती है.

मक्खी के मस्तिष्क के इस नक्शे में वैज्ञानिकों ने 1,39,000 से अधिक न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं) और 5 करोड़ से अधिक संपर्कों का विवरण दिया है, जो इस कीट में पाए जाते हैं. इस कीट का वैज्ञानिक नाम ‘ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर‘ है और इसे अक्सर न्यूरोबायोलॉजी के अध्ययन में इस्तेमाल किया जाता है. इस शोध का उद्देश्य यह समझना था कि मस्तिष्क कैसे जुड़ा होता है और स्वस्थ मस्तिष्क क्रियाओं के पीछे के संकेत क्या होते हैं. यह अन्य प्रजातियों के मस्तिष्कों के नक्शे तैयार करने के लिए भी रास्ता खोल सकता है.

मक्खी का मस्तिष्क ही क्यों?

शोध के सह प्रमुख प्रिंसटन विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंस और कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर सेबेस्टियान सीउंग ने कहा, "आप पूछ सकते हैं कि हमें फ्रूट फ्लाई के मस्तिष्क की इतनी परवाह क्यों है. मेरा सरल उत्तर है कि अगर हम किसी भी मस्तिष्क के काम करने का तरीका समझ पाते हैं, तो वह हमें सभी प्राणियों के मस्तिष्कों के बारे में कुछ न कुछ सिखाएगा."

मक्खियों को आमतौर पर घिन से देखा जाता है लेकिन इन शोधकर्ताओं को इस नन्हे से जीव के मात्र एक मिलिमीटर चौड़े मस्तिष्क में सुंदरता दिखाई दी. अन्य शोधकर्ता कैंब्रिज विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट और ग्रेगरी जेफेरीज ने कहा, "यह सुंदर है."

शोधकर्ताओं द्वारा बनाया गया नक्शा एक वायरिंग डायग्राम है, जिसे कनेक्टोम कहा जाता है. इससे पहले सरल जीवों पर ऐसा शोध किया गया था, जैसे कैनोरहैब्डिटिस एलेगन्स और मक्खी की लार्वा अवस्था पर. ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने मक्खी के जटिल व्यवहार को इसके मस्तिष्क की वायरिंग के माध्यम से समझने की कोशिश की है.

क्या कुत्ते भाषा को समझते हैं?

यह शोध फ्लाईवायर कंसोर्टियम नामक वैज्ञानिकों के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा किया गया. प्रिंसटन की न्यूरोसाइंटिस्ट माला मूर्ति भी इस शोध में शामिल थीं. मूर्ति ने कहा, "हम जिन मुख्य प्रश्नों का उत्तर खोजने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से एक यह है कि मस्तिष्क की वायरिंग, इसके न्यूरॉन्स और कनेक्शन्स, कैसे जानवरों के व्यवहार को तय करते हैं."

हर गतिविधि का अध्ययन

मूर्ति ने कहा, "मक्खियां न्यूरोसाइंस के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल सिस्टम हैं. उनके मस्तिष्क भी हमारे मस्तिष्क की तरह ही कई समस्याओं का समाधान करते हैं. वे चलने और उड़ने जैसे जटिल व्यवहार, सीखने और स्मृति से जुड़े व्यवहार, नेविगेशन, भोजन ग्रहण करने और यहां तक कि सामाजिक संपर्कों जैसे व्यवहारों में सक्षम हैं, जिनका मेरी लैब में प्रिंसटन में अध्ययन किया गया."

शोधों में से एक ने चलने से जुड़े मस्तिष्क सर्किट्स का विश्लेषण किया और पता लगाया कि मक्खियां कैसे रुकती हैं. एक अन्य अध्ययन ने मक्खी के स्वाद नेटवर्क और स्वच्छता से जुड़े सर्किट्स का विश्लेषण किया, जैसे कि जब वह अपने एंटीना से गंदगी हटाने के लिए अपने पैर का इस्तेमाल करती है. एक अन्य अध्ययन ने उसके देखने के सिस्टम का अध्ययन किया, जिसमें मक्खी की आंखें गति और रंग की जानकारी कैसे जुटाती हैं, इसका विश्लेषण किया गया. एक और अध्ययन ने मस्तिष्क के भीतर की कनेक्टिविटी का विश्लेषण किया, जिसमें "हब न्यूरॉन्स" की एक बड़ी संख्या का पता चला, जो जानकारी के प्रवाह को तेज कर सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने एक नक्शे तैयार किया जो मक्खी के मस्तिष्क के अंदर के गोलार्धों और व्यवहार से जुड़े सर्किट्स के संगठन को ट्रैक करता है. उन्होंने मस्तिष्क में कोशिका वर्गों के पूरे सेट की भी पहचान की, विभिन्न प्रकार के न्यूरॉन्स और इन तंत्रिका कोशिकाओं के बीच के रासायनिक कनेक्शनों - सिनेप्सेस - को पहचानते हुए और न्यूरॉन्स द्वारा छोड़े जाने वाले रसायनों के प्रकारों का अध्ययन किया.

वीके/एए (रॉयटर्स)