वैज्ञानिक तब हैरान रह गए जब उन्होंने एक वनमानुष को जड़ी-बूटियों से अपने घाव का इलाज करते हुए पाया. कई जानवर बीमारी या चोट लगने पर अपना इलाज करते हैं.जानवर भी पौधों के औषधीय गुणों को जानते हैं और अपना इलाज भी कर लेते हैं. इस बात का एक और प्रमाण तब मिला जब वैज्ञानिकों ने एक वनमानुष को एक जंगली पौधे के पत्तों से अपना इलाज करते हुए पाया.
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के दौरान पाया कि राकुस नाम का यह वनमानुष उसी पौधे की पत्तियां तोड़कर चबा रहा था, जिसे दक्षिण पूर्व एशिया में लोग औषधि के रूप में दर्द और जलन के इलाज के लिए इस्तेमाल करते हैं.
इस वनमानुष ने पहले पत्तों को चबाया, उसके बाद अपनी उंगलियों से उसके रस को अपने दाएं गाल पर लगी चोट पर लगाया. उसके बाद उसने चबाए हुए पत्तों से घाव को इस तरह ढक लिया जैसे पट्टी की जाती है.
इस पूरे अध्ययन के बारे में एक शोधपत्र ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. पहले भी वानर जाति के बड़े जानवरों द्वारा जंगल में खुद का इलाज करने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. अब तक वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये बंदर जंगली पौधों का इस्तेमाल अपने इलाज के लिए करते हैं. लेकिन इस बार जिस तरह उन्होंने एक वनमानुष को घाव पर दवाई लगाते पाया है, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया था.
पहली बार देखा गया
शोधकर्ताओं में से एक, जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर में काम करने वालीं इजाबेला लाउमर कहती हैं, "यह पहली बार है जब हमने किसी जंगली जानवर को औषधि को अपने घाव पर सीधे लगाते हुए देखा है.”
यह घटना 2022 की है. तब इंडोनेशिया के मेदन में सुआक प्रोजेक्ट के दौरान वैज्ञानिक उलील अजहरी ने इस घटना को देखा और दर्ज किया था. उन्होंने घटना की तस्वीरें भी लीं. उन्होंने देखा कि महीनेभर में वनमानुष का घाव पूरी तरह ठीक हो गया. वैज्ञानिक 1994 से इंडोनेशिया के गुनुंग लेजर नेशनल पार्क में वनमानुषों का अध्ययन कर रहे हैं लेकिन इस तरह अपने घाव पर दवाई लगाते किसी को पहले नहीं देखा गया.
इस अध्ययन का हिस्सा नहीं रहे एमरी यूनिवर्सिटी में जीवविज्ञानी जैकब्स डे रूड कहते हैं, "यह एक अकेला मामला है लेकिन अक्सर नए व्यवहार के बारे में जानकारी की शुरुआत पहले मामले से ही होती है.”
रूड कहते हैं कि बहुत संभव है कि यह अपना इलाज करने का मामला है. उन्होंने कहा कि वनमानुष ने सिर्फ घाव पर दवा लगाई, शरीर के किसी और अंग पर नहीं.
कहां से सीखा इलाज?
माक्स प्लांक की कैरोलाइन शुपली कहती हैं कि संभव है कि राकुस ने यह तकनीक अन्य वनमानुषों से सीखी, जो उस पार्क से दूर वैज्ञानिकों के रोज के अध्ययन के दायरे से बाहर रहते हों. राकुस का जन्म अध्ययन के दायरे में शामिल इलाके से बाहर ही हुआ था और उसका बचपन बाहर ही बीता.
इन शोधकर्ताओं का मानना है कि राकुस किसी अन्य जानवर के साथ लड़ाई में घायल हो गया. पहले कभी उसने इस तरह अपना इलाज किया है या नहीं, इसकी को जानकारी नहीं है.
वैज्ञानिकों ने पहले भी कुछ वानरों को अपना इलाज करने के लिए पौधों का इस्तेमाल करते देखा है. बोर्नियन वनमानुषों को औषधीय पौधों का रस अपने शरीर पर मलते देखा गया है, जो शायद दर्द कम करने या परजीवियों को भगाने के लिए था.
दुनिया की अलग-अलग जगहों पर चिंपांजियों को अपना पेट दर्द ठीक करने के लिए पौधों की टहनियां चबाते देखा गया है. गोरिल्ला, चिंपांजी और बोनबोस पेट के कीड़े मारने के लिए किसी ना किसी तरह के पत्ते खाते पाए गए हैं.
डाएन फोसी गोरिल्ला फंड नामक एनजीओ में मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी तारा स्टोइंस्की कहती हैं, "अगर हमारे सबसे करीबी जीवित संबंधियों में से कुछ ऐसा व्यवहार करते हैं तो यह दवाओं के विकास के बारे में हमें क्या बताता है?”
वीके/एए (एपी)