खसरा आज भी बेहद संक्रामक और जानलेवा बीमारी है, लेकिन इसे टीकाकरण कार्यक्रम के जरिए रोका जा सकता है. इसके बारे में जागरूकता की जरूरत है.1980 के दशक से दुनियाभर में मीजल्स यानी खसरे के मामले में कमी आई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ऐसा टीकाकरण कार्यक्रम के कारण हुआ था. बीते 20 वर्षों में महज टीकाकरण से ही 50 करोड़ जिंदगियां बचाई जा सकी थीं.
1980 के दशक में खसरेके प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख मामले सामने आते थे. 2020 की शुरुआत में संक्रमण दर में कुछ लाख की कमी आंकी गई थी, लेकिन खसरा अब तक जड़ से खत्म नहीं हुआ है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसा ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर लोग, जिनमें बच्चे अधिक हैं, उनका टीकाकरण नहीं हुआ. जिस जगह पर बच्चों में खसरे का टीका नहीं लगता वहां पर बीमारी तेजी से फैलती है.
खसरा तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है जो संभावित रूप से घातक भी है, लेकिन अब तक इसके लिए कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है. ऐसे में टीकाकरण के जरिए से रोकथाम कर फैलने से रोकने का एकमात्र बेहतर विकल्प है.
लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण खसरे की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर एक बार फिर पानी फिर गया. महामारी के बाद खसरे के मामलों में भी इजाफा हुआ है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार 2021 में खसरे से लगभग एक लाख 28 हजार लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था या फिर वे बच्चे शामिल थे जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम थी और उनका टीकाकरण पूरा नहीं हो पाया था.
खसरा क्या है और किसे सबसे ज्यादा खतरा?
खसरा वायरस से होने वाली एक बीमारी है. इसकी वजह से निमोनिया, डायरिया, बहरापन, अंधापन, मानसिक परेशानी के साथ मृत्यु तक हो सकती है. अक्सर इसके मामलों में रूबेला और मंप्स बीमारी का मिला-जुला असर पाया जाता है. बच्चों को इन तीनों वायरल संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण की एक खुराक लगाई जाती है. खसरे के संक्रमण से कोई भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन बच्चों को संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि खसरे की बीमारी का खतरा प्रवासी परिवारों को अधिक रहता है. उदाहरण के तौर पर फलीस्तीन में निवास कर रहे गजा के प्रवासियों में यूनिसेफ ने खसरा और पोलियो समेत अन्य रोकी जा सकने वाली बीमारियों के फैलने को लेकर चिंता जताई है. यूनिसेफ का कहना है वैश्विक स्तर पर 10 लाख 90 हजार प्रवासियों में से गजा में रह रहे लगभग 19 हजार बच्चों को अक्टूबर 2023 के बाद से चल रहे युद्ध के कारण टीकाकरण की खुराक नहीं लग पाई.
खसरा संक्रमण इस समय कहां फैल रहा
डब्ल्यूएचओ और सीडीसी की नवंबर 2023 में प्रकाशित एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में खसरा संक्रमण के कारण 40 फीसदी मृत्युअधिक हुई. सीडीसी ग्लोबल इम्यूनाइजेशन डिविजन के निदेशक जॉन वर्टफ्यूईल ने बढ़ते मामलों पर कहा, "यह चौंकाने वाले आंकड़े हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में गिरते टीकाकरण की दर को देखते हुए अप्रत्याशित नहीं है."
डब्ल्यूएचओ और सीडीसी के मुताबिक, 2023 में खसरा के संक्रमण से 37 देशों में 90 लाख बच्चे संक्रमित हुए. ज्यादातर गरीब देशों में बीमारी के करण 13 हजार 600 लोगों की मौत भी हुई. दोनों संस्थाएं यूरोप और अमेरिका को एक साथ लाकर टीकाकरण के प्रयासों के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं. यूरोप में साल 2023 में 42 हजार से भी अधिक लोगों में खसरे का संक्रमण दर्ज किया गया. यह पिछले वर्ष की तुलना में 45 गुना अधिक है.
कैसे होता है खसरे का संक्रमण
अन्य वायरल संक्रमण की तरह खसरे का संक्रमण भी खांसने या छींकने के कारण निकलने वाली बूंद से फैलता है, लेकिन इसके साथ ही कमरों में हवा का वेंटिलेशन न होने पर भी वायरस हवा या सतह पर दो घंटे से अधिक के समय के लिए जीवित रह सकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बिना टीकाकरण किए हुए 10 में से नौ लोगों को यह वायरस आसानी से संक्रमित कर सकता है. वहीं टीके लगे हुए लोगों को इससे सुरक्षा मिलती है. इस बीमारी के लक्षण भी बेहद सामान्य हैं. इसमें तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और शरीर में चकत्ते पड़ने जैसे लक्षण नजर आते हैं.
खसरा का टीका सामान्य रूप से अकेली खुराक भी दी जा सकती है लेकिन अक्सर इसे रूबेला, मंप्स और चेचक के टीके के साथ मिला कर दिया जाता है जिसे एमएमआर की खुराक कही जाती है. संगठन खसरे की सामान्य या एमएमआर टीकाकरण की दो खुराक लगाने की सिफारिश करता है ताकि इम्यूनिटी बेहतर हो सके.
कैसे होता है खसरे का इलाज
खसरे के लिए अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण होने पर मरीज को आराम करना चाहिए, डिहाइड्रेशन से बचने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए और अगर डायरिया या उल्टी जैसी शिकायत हो तो दर्द होने पर पेन किलर भी दिया जा सकता है.
निमोनिया, आंख और कान के संक्रमण होने पर कई मामलों में डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं भी खाने की सलाह देते हैं. क्योंकि खसरा वायरस के कारण होता है, ऐसे में एंटीबायोटिक दवाएं सिर्फ बैक्टीरियल संक्रमण को रोकने के लिए दी जाती हैं. अगर एंटीबायोटिक दवाओं को सही तरीके से और सही खुराक में न खाया जाए तो इसकी वजह से एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस भी हो जाता है और दवाएं असर करना बंद कर देती हैं. ऐसे में बीमारी बढ़ सकती है.