जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड प्लैटो की 218वीं जयंती पर Google ने खास Doodle बनाकर किया उन्हें याद, जानें कौन थे Joseph Antoine Ferdinand Plateau
Google Doodle, (फोटो क्रेडिट्स: Google)

Joseph Antoine Ferdinand Plateau 218th Birth Anniversary: आज का Google Doodle बेल्जियन के भौतिक वैज्ञानिक (Belgian Physicist) जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड प्लैटो की 218वीं जयंती पर समर्पित है. वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1832 में फेनाकिस्टिस्कोप (Phenakistiscope) का आविष्कार किया था. ये एक ऐसा उपकरण था, जिसकी वजह से सिनेमा का जन्म हुआ था. इस उपकरण से चलते इमेज का इल्यूजन बनता था, जिसे पर्दे पर फिल्म के रूप में देखा जाता था. यह एक प्रकार का एनीमेशन डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल सबसे पहले मोशन पिक्चर के लिए किया गया था. मनोरंजन जगत में आज जो भी बेहतरीन फिल्मों का निर्माण हो रहा है उसमें मूविंग मीडिया एंटरटेनमेंट में सबसे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. गूगल ने एनिमेटेड डिस्क से प्रेरित होकर आज का खास डूडल आर्ट बनाया है, जिसमें विभिन्न डिवाइस दिखाई दे रहे हैं और अलग-अलग इमेजिनरी थीम भी है.

आज के इस ख़ास डूडल को एनिमेटेड फिल्ममेकर डूडलर ओलिविया ह्योनह (Olivia Huynh) ने डायना ट्रान (Diana Tran) और टॉम तबानाओ (Tom Tabanao) की मदद से बनाया है. 14 अक्टूबर 1801 में बेल्जियन के ब्रसेल्स में जन्में जोसेफ अपने पिता के इकलौते बेटे थे. उनके पिता भी एक कलाकार थे जो फूलों में पेंटिंग का काम करते थे. जोसेफ ने 1829 में भौतिक और गणितीय विज्ञान (Physical And Mathematical Sciences ) में डॉक्टर के रूप में स्नातक किया, 1827 में ब्रुसेल्स में गणित पढ़ाया और बाद में 1835 में उन्हें गेंट विश्वविद्यालय (Ghent University) में भौतिकी और अनुप्रयुक्त भौतिकी (Physics and Applied Physics) का प्रोफेसर नियुक्त किया गया.

जिसके बाद जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड प्लैटो ने अपनी रिसर्च शुरू की और विशेष तौर पर ह्यूमन रेटिना पर रंगों के प्रभाव का अध्ययन किया. उन्होंने इस पर गहन अध्ययन किया कि रेटिना किस प्रकार से काम करता है, उस पर किस प्रकार चित्र बनते हैं. इन्हीं सब चीजों पर गहन अध्ययन कर उन्होंने 1832 में स्ट्रॉबोस्कोपिक डिवाइस का निर्माण किया.

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लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्लैटो उन्नीसवीं सदी के सबसे बेस्ट बेल्जियन साइंटिस्ट कहे जाने लगे. उन्होंने फिजियोलॉजिकल ऑप्टिक्स में महारत हासिल की थी. आगे चलकर प्लैटो के आंखों की रौशनी चली गई थी, जिसके बाद भी वो विज्ञान के क्षेत्र में अपन योगदान देते रहे और इस योगदान में उनके बेटों ने भी उनका साथ दिया.