मंगल ग्रह पर बादलों की एक व्यापक सूची ने इस ग्रह के वायुमंडल में होने वाली अद्भुत घटनाओं का खुलासा किया है, जिनमें से कई धरती पर देखी जाने वाली घटनाओं से बिल्कुल अलग हैं. हालांकि मंगल का वायुमंडल पतला है और मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से बना है, फिर भी सही परिस्थितियों में यह आश्चर्यजनक बादल संरचनाएं उत्पन्न कर सकता है. न्यू साइंटिस्ट के अनुसार, यह शोध मंगल ग्रह के अनोखे वातावरण को बेहतर ढंग से समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की डैनिएला टिर्श और उनकी टीम ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मंगल एक्सप्रेस प्रोब द्वारा दो दशकों से अधिक समय तक ली गई तस्वीरों का उपयोग करके एक "बादल एटलस" तैयार किया है. इसका उद्देश्य मंगल पर देखे जाने वाले बादलों के पैटर्न और उनके जलवायु पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना है.
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— ESA Science (@esascience) September 10, 2024
इनमें से कुछ बादल पृथ्वी पर बनने वाले बादलों की तरह दिखते हैं, जैसे कि ग्रेविटी वेव (गुरुत्वाकर्षण तरंग) बादल और क्लाउड स्ट्रीट्स. ये बादल मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं या वायुमंडल के भीतर होने वाली अव्यवस्थित धाराओं के कारण बनते हैं. हालांकि, मंगल की अनोखी वायुमंडलीय परिस्थितियाँ ऐसे बादल उत्पन्न करती हैं जिनका पृथ्वी पर कोई समानांतर नहीं है.
उदाहरण के लिए, लंबे धूल बादल मंगल ग्रह के वातावरण की एक अनोखी विशेषता हैं. ये बादल सैकड़ों किलोमीटर तक फैले हो सकते हैं और इनका लाल रंग मंगल ग्रह की धूल की विशाल मात्रा के कारण होता है. इसके अलावा, ओरोग्राफिक बादल तब बनते हैं जब हवा पहाड़ों और ज्वालामुखियों द्वारा ऊपर की ओर धकेली जाती है, और कभी-कभी ये धूल या धूल भरी आंधियों के साथ मिलकर ऐसे दृश्य उत्पन्न करते हैं जो ज्वालामुखी विस्फोटों की तरह लगते हैं.
ट्वाइलाइट (गोधूलि) बादल, जो मंगल ग्रह पर सूर्योदय या सूर्यास्त के समय क्षितिज के पास दिखाई देते हैं, विशेष रूप से आकर्षक होते हैं. ये बादल कभी हल्के, पतले सायरस (Cirrus) बादलों की तरह दिखते हैं, तो कभी अजीबोगरीब, गुच्छों में बिखरे रूप लेते हैं. इनका आकार और व्यवहार कई कारकों से प्रभावित होता है, जिनमें सूर्य की किरणों का कोण, वायुमंडल की संरचना और धूल या अन्य कणों की उपस्थिति शामिल है.
मंगल ग्रह पर देखे गए बादलों की विविधता इस ग्रह के वायुमंडलीय गतिशीलता की जटिलता को दर्शाती है. इन बादलों का अध्ययन करके वैज्ञानिक मंगल ग्रह की जलवायु, वायुमंडल के परिसंचरण और धूल की भूमिका को समझने में मूल्यवान जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जो अंततः मंगल ग्रह के पर्यावरण को आकार देने में मददगार साबित हो सकती है.