लोगों के दिमाग में चिप डाल रहा चीन! एलन मस्क के न्यूरालिंक को पछाड़ने की तैयारी, जानें इस टेक्नोलॉजी के फायदें

Brain Chip Technology: चीन ने एक और बार तकनीक की दुनिया में अपनी ताकत साबित करते हुए ब्रेन चिप टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा कदम उठा लिया है. बीजिंग स्थित चाइनीज इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन रिसर्च (सीआईबीआर) और न्यूसाइबर न्यूरोटेक ने मिलकर तीन मरीजों के दिमाग में सफलतापूर्वक एक ब्रेन चिप प्रत्यारोपित कर दी है. इस प्रोजेक्ट का नाम बेनाओ नंबर वन रखा गया है और यदि साल के अंत तक 13 मरीजों में यह चिप सफलतापूर्वक लगा दी गई, तो चीन की यह टेक्नोलॉजी इलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक से आगे निकल जाएगी.

कैसे काम करती है यह ब्रेन चिप?

बेनाओ नंबर वन एक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) सिस्टम है, जिससे लकवे से ग्रसित मरीजों को कंप्यूटर और रोबोटिक डिवाइसेस को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. मार्च में जारी एक वीडियो में, मरीजों को रोबोटिक हाथ की मदद से पानी भरते और विचारों को कंप्यूटर स्क्रीन पर ट्रांसमिट करते हुए देखा गया. इस चिप से उन मरीजों को सीधा फायदा होगा जो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं.

चीन की महत्वाकांक्षाएं और अगला लक्ष्य

सीआईबीआर के निदेशक और न्यूसाइबर के मुख्य वैज्ञानिक लुओ मिनमिन के अनुसार, साल के अंत तक 10 और मरीजों में यह चिप लगाई जाएगी, जिसके बाद अगले साल बड़े पैमाने पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा. नियामक स्वीकृति मिलने के बाद, लगभग 50 मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया जाएगा. यह चीन की ब्रेन टेक्नोलॉजी में वैश्विक वर्चस्व की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

न्यूरालिंक और अन्य अमेरिकी कंपनियों को टक्कर

ब्रेन चिप टेक्नोलॉजी में अभी तक अमेरिकी कंपनियां आगे रही हैं. खासतौर पर सिन्क्रॉन, जिसके निवेशकों में जेफ बेजोस और बिल गेट्स जैसे दिग्गज शामिल हैं, अब तक 10 मरीजों में ब्रेन चिप लगा चुकी है. दूसरी ओर, इलॉन मस्क की न्यूरालिंक अभी तक सिर्फ तीन मरीजों तक ही पहुंच पाई है.

लेकिन चीन की बेनाओ नंबर वन तेजी से इस दौड़ में आगे निकल रही है. न्यूरालिंक जहां वायरलेस ब्रेन चिप पर काम कर रही है, वहीं बेनाओ नंबर टू के रूप में चीन भी वायरलेस तकनीक विकसित कर रहा है, जिसकी ह्यूमन ट्रायल अगले 12 से 18 महीनों में होने की संभावना है.

क्या कहती है दुनिया?

चीन के इस तेजी से बढ़ते प्रोजेक्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं. जहां एक तरफ वैज्ञानिक इसे ब्रेन रिसर्च की दुनिया में क्रांतिकारी कदम मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी विशेषज्ञ डेटा सिक्योरिटी और नैतिक सवालों को लेकर चिंतित हैं.

भविष्य की संभावनाएं

मिनमिन के अनुसार, इस तकनीक को और विकसित करने के लिए कंपनी निवेशकों से बातचीत कर रही है. लेकिन उनका जोर केवल मुनाफे पर नहीं, बल्कि भविष्य की चिकित्सा संभावनाओं पर है. दिलचस्प बात यह है कि चीन ने यह भी साफ किया है कि इस प्रोजेक्ट का चीनी सेना से कोई संबंध नहीं है और इसका उद्देश्य केवल लकवे के मरीजों की मदद करना है.

चीन का ब्रेन चिप प्रोजेक्ट दुनिया को यह दिखा रहा है कि तकनीकी क्षेत्र में वह किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. बेनाओ नंबर वन के सफल प्रयोग के बाद, अब सभी की नजरें बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रायल्स और वायरलेस ब्रेन चिप पर टिकी हैं. अगर चीन अपने इस लक्ष्य में कामयाब होता है, तो यह न्यूरोसाइंस की दुनिया में सबसे बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है.