नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है. एक दौर था जब भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) दुनिया की सबसे शक्तिशाली टीम हुआ करती थी. इसका सबूत ओलंपिक हैं, जहां भारतीय हॉकी टीम ने लगातार गोल्ड मेडल जीते. राष्ट्रीय हॉकी टीम के स्वर्णिम दौर में जिन खिलाड़ियों ने अपनी चमक बिखेरी और देश का नाम दुनिया में प्रतिष्ठित किया, उनमें बलबीर सिंह (Balbir Singh) का नाम बेहद महत्वपूर्ण है.
बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हरिपुर, पंजाब में हुआ था. उन्हें बलबीर सिंह सीनियर के नाम से भी जाना जाता है. जब वे पांच साल के थे, तभी से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू कर दिया था. जब 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने 1936 में भारत की हॉकी टीम को तीसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा, तो उनके मन में भी देश के लिए हॉकी खेलने की इच्छा जगी. यही इच्छा और जुनून उन्हें राष्ट्रीय टीम तक ले आई. यह भी पढ़ें : NZ-W vs BAN-W, ICC Women’s Cricket World Cup 2025 Live Streaming: न्यूजीलैंड महिला बनाम बांग्लादेश महिला आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप मैच से पहले जानिए कब, कहां और कैसे देखें लाइव प्रसारण
उन्होंने हॉकी खेलने की शुरुआत एक गोलकीपर के तौर पर की और फिर बैक फोर में खेलने लगे, लेकिन उन्हें अपने हुनर का सही अंदाजा पहली बार तब हुआ, जब एक स्ट्राइकर के तौर पर उन्हें स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला. पंजाब की हॉकी टीम ने 14 साल से राष्ट्रीय पदक नहीं जीता था. बलबीर सिंह सीनियर ने 1946 और 1947 में लगातार दो बार पंजाब को राष्ट्रीय खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इस प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय टीम में उनकी जगह बनी.
बलबीर सिंह सीनियर को भारतीय हॉकी इतिहास का अब तक का सबसे अच्छा सेंटर-फॉरवर्ड खिलाड़ी माना जाता है. 1948 (लंदन ओलंपिक), 1952 (हेलिंस्की ओलंपिक), और 1956 में मेलबर्न में ओलंपिक में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में बलबीर सिंह का यादगार और असाधारण योगदान रहा था. 1958 में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का भी वे हिस्सा रहे थे.
बलबीर सिंह ने लंदन ओलंपिक में 8 और हेलिंस्की ओलंपिक में 9 गोल किए. हेलिंस्की ओलंपिक में भारत का फाइनल नीदरलैंड से था. फाइनल में पांच गोल करते हुए बलबीर ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था. यह अभी भी एक ओलंपिक पुरुष हॉकी फाइनल में किसी खिलाड़ी द्वारा किए गए सबसे अधिक गोल के रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है. भारत ने यह मुकाबला 6-1 से जीता था. सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ उन्होंने हैट्रिक लगाई थी. 1956 में भारतीय टीम पाकिस्तान को हराकर गोल्ड जीती थी. इस मैच में वह हाथ में इंजरी के साथ खेले थे.
1957 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित होने वाले वह देश के पहले खिलाड़ी थे. बलबीर सिंह ने 1960 में संन्यास ले लिया था. सिंह ने भारत के लिए 61 मैच में 246 गोल किए थे. संन्यास के बाद वह कोच, मैनेजर और हॉकी टीम के चयनकर्ता के रूप में भी हॉकी से जुड़े रहे. बलबीर सिंह सीनियर उस वक्त भारतीय हॉकी टीम के कोच थे, जब टीम ने 1971 के पहले वर्ल्ड कप में कांस्य पदक जीतने में सफलता हासिल की. इसके बाद 1975 में एकमात्र विश्व कप जीत के लिए वह टीम का सहारा बने. 1948 के लंदन ओलिंपिक में भारत ने ब्रिटेन को हराकर गोल्ड मेडल जीता था. इस फाइनल में बलबीर सिंह ने दो गोल किए थे. भारत ने यह मैच 4-0 से जीता था. 2018 में इस घटना पर ‘गोल्ड’ फिल्म बनी थी. अक्षय कुमार ने इस फिल्म में तपन दास का रोल प्ले किया था. देश के इस महानतम हॉकी खिलाड़ी का निधन 25 मई 2020 को हुआ था.













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