Ravi Kumar Dahiya के जीवन से जुड़ी वो बातें जिसे जानकर हर भारतीय को होगा गर्व, सच्चा देशभक्त उनके कारनामे को करेगा सलाम
रवि कुमार दहिया (Photo Credits: Twitter)

Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) ने पुरुष फ्रीस्टाइल कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग में कजाकिस्तान के पहलवान सनायेव नुरिस्लाम को हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया है. रवि कुमार ने कजाकिस्तान के पहलवान सनायेव नुरिस्लाम को हराकर देश को पदक का आश्वासन दे दिया है.

दमदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में बनाई जगह

भारतीय पहलवान रवि दहिया ने टोक्यो ओलंपिक में दमदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई है. अब वे फाइनल में गोल्ड जीतने के इरादे से उतरेंगे. रवि दहिया से पहले भारत के लिए रेसलिंग में सुशील कुमार (2008, 2012), योगेश्वर दत्त (2012) और साक्षी मलिक (2016) पदक जीत चुके हैं. सुशील कुमार ने लंदन ओलंपिक 2012 में सिल्वर मेडल जीता था, जबकि साक्षी और योगेश्वर के नाम कांस्य पदक हैं.

7 प्वाइंट से पिछड़कर भी नहीं मानी हार, अब गोल्ड के लिए खेलेंगे

रवि दहिया ने सेमीफाइनल मुकाबले में 7 प्वाइंट से पिछड़कर भी हार नहीं मानी और बेहतरीन प्रर्दशन करते हुए मैच का परिणाम अपने पक्ष में किया. आखिर में कजाकिस्तान के पहलवान को दांव लगाकर भारतीय पहलवान रवि दहिया ने मैच में सीधी जीत हासिल कर ली, जबकि इससे पहले रवि दहिया ने दोनों मुकाबले तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते थे. दहिया ने क्वार्टर फाइनल के पहले दौर में कोलंबिया के टिगरेरोस उरबानो आस्कर एडवर्डो को 13-2 से हराने के बाद बुल्गारिया के जॉर्जी वेलेंटिनोव वेंगेलोव को 14. 4 से हराया. चौथे वरीय इस भारतीय पहलवान ने टिगरेरोस उरबानो के खिलाफ मुकाबले में लगातार विरोधी खिलाड़ी उसके दायें पैर पर हमला किया और पहले पीरियड में ‘टेक-डाउन’ से अंक गंवाने के बाद पूरे मुकाबले में दबदबा बनाए रखा. अब रवि से गोल्ड की उम्मीद की आस है. यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics 2020: गोल्ड मेडल के लिए गुरुवार को Zavur Uguev से भिड़ेंगे रवि कुमार दहिया

तंगहाली के चलते पिता नहीं बन सके थे पहलवान

नाहरी में रवि के घर बधाई देने वालों का तांता लगा है. रवि के पिता राकेश कुमार बेहद उत्साहित हैं. उनका कहना है कि आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण वह तो कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे, लेकिन अपने बेटे को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते देखना चाहते थे. उनके बेटे उनके सपनों को साकार करने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं.

राकेश का कहना है कि खुद वे अच्छे पहलवान रहे, लेकिन घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती करने लगे. रवि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के बल पर ओलंपिक में पहुंचकर बेहतर खेल का प्रदर्शन कर रहा है.परिजनों व ग्रामीणों को ओलंपिक में रवि से स्वर्ण पदक की उम्मीद है. राकेश कहते हैं कि नाहरी की माटी की खुशबू विदेश में महके यह हर ग्रामीण का सपना होता है. गांव के लाडले ने वतन की आन, बान और शान को बेहतर तरीके से सम्मान दिलाया.

नाहरी के मूल निवासी रवि को गांव के संत हंसराज पहलवानी के लिए लेकर गए. गांव में ही रवि को अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सिखाए। वह वर्ष 2015 में छत्रसाल स्टेडियम में गए और जूनियर रेसलिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता. घुटने की चोट लगी तो 2017 में सीनियर नेशनल गेम्स में सेमीफाइनल तक पहुंचने के बाद उन्हें प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा. फिट होने के बाद वर्ष 2018 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और वर्ष 2019 में हुई वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता.