Sunil Chhetri: सुनील छेत्री के फुटबॉल में अद्भुत 20 साल के सफर को सलाम

भारतीय फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी सुनील छेत्री का जन्म ही उपलब्धियों को हासिल करने के लिए हुआ है। 2005 में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने के बाद, उन्होंने अब तक देश के लिए 149 अंतर्राष्ट्रीय मैच, 93 गोल और 11 ट्रॉफियां अर्जित की हैं.

Sunil Chhetri with teammates (Photo credit: Twitter @IndianFootball)

गुवाहाटी, 25 मार्च: भारतीय फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी सुनील छेत्री का जन्म ही उपलब्धियों को हासिल करने के लिए हुआ है. 2005 में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने के बाद, उन्होंने अब तक देश के लिए 149 अंतर्राष्ट्रीय मैच, 93 गोल और 11 ट्रॉफियां अर्जित की हैं. यह भी पढ़ें: IPL 2024: 'हार्दिक को सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजना सामूहिक फैसला था', मुंबई इंडियंस के बल्लेबाजी कोच कीरोन पोलार्ड का बयान

एक बेस्ट कप्तान और शानदार खिलाड़ी सुनील छेत्री का नाम फुटबॉल जगत के दिग्गजों में शुमार है. वो 150 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के एक विशिष्ट क्लब में प्रवेश करने की कगार पर हैं. एक इंग्लिश वेबसाइट से बात करते हुए सुनिल छेत्री ने अपने इस सुनहरे सफर को याद किया.

इंटरव्यू की खास बातें:

प्रश्न: हमें राष्ट्रीय टीम के साथ अब तक की अपनी यात्रा के बारे में बताएं.

उत्तर: जब मैंने शुरुआत की थी तो कभी सोचा नहीं था कि मैं एक दिन देश के लिए खेल सकूंगा. दरअसल, कुछ दिन पहले तक मुझे भी नहीं पता था कि मैं इस तरह के रिकॉर्ड के करीब हूं. जब आप रुकते हैं और इसके बारे में सोचते हैं, तो आपको एहसास होता है कि यह एक अविश्वसनीय उपलब्धि है. मैं इस स्थिति में होने के लिए बहुत भाग्यशाली, बेहद आभारी हूं.

मुझे लगता है कि मैं भारत के लिए 150 मैच खेलने वाला एकमात्र खिलाड़ी हूं. मैं सचमुच भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा अवसर मिला.

प्रश्न: जब आपको शुरू में सुब्रतो कप और दिल्ली लीग में शामिल किया गया था, तो क्या आपने कभी सोचा था कि आप यहां तक पहुंच पाएंगे?

उत्तर: जब मैं दिल्ली में सुब्रतो कप खेल रहा था तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं देश के लिए खेलूंगा. किसी क्लब के लिए खेलने वाले का पेशेवर सेटअप तक पहुंचना आसान नहीं था. ऐसा कोई पुल नहीं था जो आपके कार्यों को सीधे आपके गंतव्य से जोड़ता हो. अब ऐसा मामला नहीं है, क्योंकि किसी भी क्लब में खेलने वाला बच्चा जानता है कि जहां वह जाना चाहता है वहां पहुंचने के लिए उसे क्या करना होगा. उन दिनों ऐसा नहीं था और इसलिए, मैंने कभी देश के लिए खेलने का सपना नहीं देखा था.

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