Who is Amol Muzumdar? भारतीय महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम(India Women's National Cricket Team) के इतिहास में साल 2025 हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. टीम इंडिया ने पहली बार आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता हैं, और इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे अमोल अनिल मुजुमदार का सबसे बड़ा योगदान रहा है. अपनी कोचिंग समझदारी, शांत नेतृत्व और खिलाड़ियों से जुड़ाव के लिए पहचाने जाने वाले अमोल मुजुमदार ने भारतीय महिला टीम को वह उपलब्धि दिलाई, जिसका सपना दशकों से देखा जा रहा था. 2025 में जब भारतीय महिला टीम ने पहली बार विश्व कप का खिताब जीता, तब अमोल मुजुमदार का कोचिंग अनुभव, रणनीतिक सोच और खिलाड़ियों पर विश्वास निर्णायक साबित हुआ. महिला विश्व कप की पहली ट्रॉफी जीत पर कप्तान हरमनप्रीत कौर ने दिया मजबूत संदेश, टीम की मेहनत और आत्मविश्वास को बताया सफलता का मंत्र
उन्होंने टीम के भीतर एकजुटता, आत्मविश्वास और ‘हम कर सकते हैं’ की भावना को जगाया, जो आखिरकार विश्व विजेता बनने तक ले गई. अमोल मुजुमदार ने यह साबित कर दिया कि एक कोच सिर्फ रणनीति नहीं बनाता. वह एक टीम को सपना देखने, उस पर यकीन करने और उसे साकार करने की ताकत देता है.
कौन हैं अमोल अनिल मुजुमदार?
अमोल अनिल मुजुमदार का जन्म 11 नवंबर 1974 को मुंबई, भारत में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा बीपीएम हाई स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने शरदाश्रम विद्यालय से आगे की पढ़ाई की. यहीं से उन्होंने क्रिकेट की बारीकियाँ सीखी. प्रसिद्ध कोच रामाकांत आचरेकर की देखरेख में मुजुमदार ने अपने क्रिकेट कौशल को निखारा, जिन्होंने सचिन तेंदुलकर को भी प्रशिक्षित किया था. आचरेकर के अनुशासन और प्रशिक्षण ने अमोल के क्रिकेटीय करियर की मजबूत नींव रखी.
डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार करियर
मुजुमदार ने अपने पहले ही रणजी ट्रॉफी मैच में 260 रन की शानदार पारी खेलकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया था. यह उस समय प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू पर सबसे अधिक रन का विश्व रिकॉर्ड था. दो दशकों से अधिक लंबे करियर में उन्होंने 11,000 से ज्यादा रन और 30 शतक बनाए. जो उन्हें भारतीय घरेलू क्रिकेट का एक दिग्गज बनाते हैं.
हालांकि, इतने शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला. उस दौर में भारतीय टीम का मिडिल ऑर्डर बेहद मजबूत था, जिसमें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज मौजूद थे. इस कारण मुजुमदार का नाम अक्सर “नेक्स्ट तेंदुलकर” कहा गया, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण नहीं कर सके.
कोचिंग में परिवर्तन और दार्शनिक दृष्टिकोण से बनाया पहचान
2014 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मुजुमदार ने कोचिंग की राह पकड़ी. उन्होंने शुरुआत भारत की अंडर-19 और अंडर-23 टीमों के साथ की, जहाँ उन्होंने युवा खिलाड़ियों को निखारने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम में बल्लेबाजी सलाहकार के रूप में काम किया और राजस्थान रॉयल्स (IPL) के साथ भी जुड़कर अपने कोचिंग करियर को नई ऊँचाइयाँ दीं.
इसके अलावा, अमोल ने नीदरलैंड्स पुरुष क्रिकेट टीम के साथ भी कोचिंग की भूमिका निभाई. उनका कोचिंग स्टाइल बेहद शांत, मानवीय और प्रेरणादायक माना जाता है. वे खिलाड़ियों पर भरोसा करने, उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ने और आत्मविश्वास बढ़ाने में विश्वास रखते हैं. उनकी कोचिंग फिलॉसफी को अक्सर काल्पनिक किरदार “टेड लैसो” से जोड़ा जाता है. जो सख्ती से नहीं, बल्कि समझदारी और सकारात्मकता से टीम को विजयी बनाता है.













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