महाराष्ट्र की क्रिकेटर उत्कर्षा पवार हाल ही में भारत के पुरुष क्रिकेटर रुतुराज गायकवाड़ से अपनी शादी के कारण सुर्खियों में हैं, उन्होंने जोर देकर कहा है कि वह एक क्रिकेटर के रूप में सुधार जारी रखने और शादी के बाद भी भारत की कैप पहनने की अपनी खोज जारी रखेंगी. “मैं जब तक चाहूँगी और जब तक मेरा शरीर मुझे इजाज़त देगी तब तक क्रिकेट खेलना जारी रखूँगी कोई भी इसके बारे में 200 प्रतिशत निश्चित हो सकता है, न कि केवल 100 प्रतिशत,'' उत्कर्षा ने एक मराठी क्रिकेट पॉडकास्ट 'कॉफी, क्रिकेट आनी बाराच काही' के साथ बातचीत में इसका खुलासा किया. यह भी पढ़ें: रांची में जेएससीए इंटरनेशनल स्टेडियम के बाहर ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने एमएस धोनी के साथ खिंचवाई फोटो, देखें वायरल तस्वीर
सितंबर-अक्टूबर में एशियाई खेलों में भारत का नेतृत्व करने वाले चेन्नई सुपर किंग्स और महाराष्ट्र के सलामी बल्लेबाज उत्कर्षा और रुतुराज की 3 जून को पुणे में शादी की थी., तब से उत्कर्षा मैदान के बाहर रहने के कारणों से चर्चा में हैं. 2015-16 में महाराष्ट्र के लिए सीनियर अंतर-राज्यीय पदार्पण के बाद से 39 लिस्ट ए खेलों में 28 विकेट और 45 टी20 खेलों में 26 विकेट के साथ, उत्कर्षा अपने करियर की संभावना के बारे में चिंतित नहीं हैं. उन्होंने कहा, “अब जब मैं शादीशुदा हूं तो मुझसे बार-बार मेरे करियर के बारे में पूछा जाता है. परिवार के नहीं बल्कि बाहरी लोग ही इसकी चिंता में नजर आ रहे हैं. मेरा परिवार सपोर्टिव है. रुतुराज का परिवार बेहद सहायक है, हमारे रिश्तेदार भी सहायक हैं... लेकिन सवाल बाहरी लोगों से उठता है.''
मुझे मेरे माता-पिता, पति रुतुराज गायकवाड़ और मेरे ससुराल वालों का पूरा समर्थन है. मैं जब तक चाहूंगी और जब तक संभव हो क्रिकेट खेलती रहूंगी क्योंकि मेरा जीवन क्रिकेट के इर्द-गिर्द घूमता है.'' उत्कर्षा ने बताया कि जब वह छह साल की थी तो कैसे वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चली जो एक स्थानीय क्रिकेटर थे, “जब मैं छोटी थी, मैं जहीर खान को अपना आदर्श मानती थी. मैं उनकी तरह तेजी से दौड़ना चाहता थी और जितनी तेज गेंदबाजी कर सकती थी. उतनी तेज गेंदबाजी की. बेशक, छोटी सी गलती यह है कि मैं दाएं हाथ की हूं और वह बाएं हाथ का गेंदबाज के खिलाड़ी थे.'' उसने कहा "तेज गेंदबाजी करने की मेरी इच्छा को देखते हुए, मेरे पिता मुझे अनवर शेख के पास ले गए, जिन्होंने मेरी गेंदबाजी कौशल को निखारा और मैं नेट्स पर भी गई, जहां महाराष्ट्र के पूर्व कप्तान संतोष जेधे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते थे."
लेकिन बड़े होने के बाद उन्होंने क्रिकेट ही एकमात्र खेल नहीं खेला. उन्होंने तैराकी, बैडमिंटन और फुटबॉल में हाथ आजमाया लेकिन एक दिन उन्हें एहसास हुआ कि क्रिकेट ही उनका शौक है. उन्होंने कथक तब भी छोड़ दिया जब उनके गुरु ने उन्हें इस क्षेत्र से दूर रहने या अपने कोमल व्यक्तित्व को खोने का जोखिम उठाने की सलाह दी.