नई दिल्ली, 5 मार्च: साल 2023 में बतौर कप्तान जो कामयाबी पैट कमिंस ने हासिल की उसके लिए कई दिग्गज कप्तान सालों तक तरसते हैं. लेकिन उनके हाथ खाली रह जाते हैं. मगर, पैट कमिंस की बात अलग है क्योंकि उन्होंने न केवल अपने खेल पर ध्यान दिया बल्कि अपनी मां की सीख को भी अपनाते हुए यह मुकाम हासिल किया. यह भी पढ़ें: WPL 2024: 'संन्यास के बाद कुछ अलग विकल्प तलाश रही हूं', दिल्ली कैपिटल्स की कप्तान मेग लैनिंग का बयान
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने फरवरी 2023 में भारत के टेस्ट दौरे के दौरान सामने आई चुनौतियों पर विचार करते हुए, अपनी मां की बीमारी से जूझने के दौरान अनुभव की गई भावनात्मक उथल-पुथल के बारे में खुलकर बात की.
उनकी कड़ी आलोचना की गई क्योंकि उनकी टीम श्रृंखला 2-0 से हार गई, जिससे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भारतीय टीम के पास रही.
कमिंस ने क्रिकेट.कॉम.एयू से कहा, "जब मैं उस विमान (भारत दौरे पर) पर चढ़ रहा था तो मुझे पता था कि मुझे कुछ हफ्तों में वापस आना होगा. शायद केवल कुछ ही लोग जानते थे कि ऐसा होने वाला है। उन कुछ हफ्तों के लिए मैं भारत में था. खासकर अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मेरा मन भारत में नहीं था. पूरे समय घर पर ही मेरा ध्यान लगा हुआ था."
अपनी मां मारिया के निधन ने कमिंस को नेतृत्व के प्रति अपने दृष्टिकोण के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया. अपने स्वयं के अनुभवों से प्रेरित होकर वह खिलाड़ियों को क्रिकेट से परे जीवन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, चाहे वह नए शहरों की खोज करना हो, शौक पूरा करना हो, या परिवार के साथ समय बिताना हो.
कमिंस ने बताया कि उन्होंने अपनी मां के निधन के बाद यह सीखा कि कैसे क्रिकेट के साथ अन्य चीजों पर भी ध्यान देना जरूरी है. वह खिलाड़ियों के लिए अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए जीवन जीने में विश्वास करते हैं. यह मानते हुए कि समय कीमती है और इसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए.
कमिंस ने कहा, "हम अपने शेड्यूल में उतनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लोग अपना जीवन जी सकें. यह निश्चित रूप से मां से सीखा गया एक सबक है. मैं कोई भी समय बर्बाद नहीं करना चाहता."
ऑस्ट्रेलिया ने हाल में दमदार प्रदर्शन किया है. इस टीम ने पिछले साल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीती, एशेज बरकरार रखी, वनडे विश्व कप जीता और इस गर्मी में पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के साथ छह में से पांच टेस्ट जीते.