
Royal Challengers Bengaluru vs Kolkata Knight Riders: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु बनाम कोलकाता नाइट राइडर्स इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 का 58वां मुकाबला बेंगलुरु(Bengaluru) के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम(M.Chinnaswamy Stadium) में खेला जाना था, लेकिन बारिश की वजह से मैच रद्द हो गया और फैंस की उम्मीदों पर पानी फिर गया. रॉजर बिन्नी स्टैंड के पास फैन्स द्वारा फैलाया गया यह बैनर बस एक वाक्य "Every single one of us loves you Virat Kohli. Thank you for making Red Ball cricket exciting again." नहीं, बल्कि उस भावनात्मक जुड़ाव की गवाही था, जो इस शहर ने पिछले 18 वर्षों में विराट कोहली से बनाया है. क्या विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद इंग्लिश काउंटी के लिए खेलेंगे? मिडलसेक्स ने दिखाई दिलचस्पी, रिपोर्ट से मचा हड़कंप
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Only Bangalore's crowd could have pulled this off.
Huge respect ❤️
Thank you rcb blood #ViratKohli𓃵 #rcbvskkr #rcbvkkr pic.twitter.com/69WUWofjdn
— Cric_ zero (@NviiiJ25409) May 17, 2025
शनिवार की शाम, भले ही बारिश ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच IPL मुकाबले को धो डाला, लेकिन चिन्नास्वामी स्टेडियम विराट कोहली के लिए एक 'सफेद रंग का थिएटर' बन चुका था. हर कोना कोहलीमय था. हर नजर उसी चेहरे को ढूंढ़ रही थी, जिसने टेस्ट क्रिकेट को दोबारा गौरव दिलाया. शाम के 4:30 बजे से ही स्टेडियम के बाहर सफेद कपड़ों में लिपटे प्रशंसकों की कतारें लग गई थीं. उनकी पीठ पर नंबर 18 की जर्सी, हाथों में तख्तियां, और निगाहें उस बस पर टिकी थीं जिसके फ्रंट सीट पर आमतौर पर 'किंग कोहली' बैठते हैं। एक उत्साही फैन ने पत्रकारों से बेसब्र होकर पूछ ही लिया. "सर, अवरु यवागा बरतारे?" यानी "सर, वो कब आएंगे?"
यह सिर्फ दीवानगी नहीं थी, यह उस रिश्ते का प्रतीक था जो कोहली और बेंगलुरु के बीच पिछले दो दशकों में गहराता चला गया. कोहली ने जब कहा था, "ट्रॉफी जीतें या नहीं, इस फ्रैंचाइज़ी के साथ बना रिश्ता सबसे कीमती है. ये मेरा घर है." — तो शायद उन्होंने भविष्य का आईना दिखा दिया था.
बेंगलुरु ने भी उन्हें कभी नहीं छोड़ा. ना तब जब उनकी आक्रामकता पर सवाल उठे, ना तब जब उनका प्रदर्शन आलोचकों के निशाने पर रहा. सचिन तेंदुलकर की तरह अखिल भारतीय भक्ति नहीं मिली, ना ही एमएस धोनी जैसी 'थाला' उपाधि, लेकिन कोहली बेंगलुरु के लिए सुबह की कॉफी जैसे ज़रूरी हो गए. एक आदत, एक लगाव.
यह और भी खास इसलिए है क्योंकि कर्नाटक का क्रिकेट इतिहास हमेशा 'जेंटलमैन' खिलाड़ियों से भरा रहा है. गुंडप्पा विश्वनाथ, अनिल कुंबले, जावगाल श्रीनाथ, राहुल द्रविड़ जैसे सितारे. लेकिन इसी धरती ने एक ऐसा नायक भी अपनाया जो न कन्नड़ बोलता है, न संयम में रहता है, लेकिन जो दिलों पर छा गया. शाम होते-होते बादल उमड़ पड़े, और फिर शुरू हुई बारिश एक ऐसी दीवार जिसने फैन्स और उनके 'कोहली दर्शन' के बीच दूरी बना दी. लेकिन भीगते बदन और धुलती उम्मीदों के बावजूद नारे गूंजते रहे—"आरसीबीईईई!" और "कोहली! कोहली!" यह नारे केवल खिलाड़ी के लिए नहीं, बल्कि प्रकृति से भी एक प्रार्थना थे—बारिश हटे ताकि एक झलक मिल सके. चेन्नई के 'थाला दर्शिनम' की तर्ज पर बेंगलुरु में 'कोहली दर्शन' का इंतजार हो रहा था.
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. मैच रद्द हुआ, कोहली मैदान पर नहीं आए, बस ड्रेसिंग रूम में बैठे उनके सोच में डूबे चेहरे की झलकें बड़ी स्क्रीन पर दिखीं. फैन्स ने उन्हें ही अपना 'इनाम' मानकर झंडे लहराए और तालियां बजाईं. पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती. 23 मई को एक और रात है. एक और मौका, जब RCB का सामना होगा सनराइजर्स हैदराबाद से होगा, तब शायद उस दिन बारिश नहीं होगी. शायद सफेद कपड़ों में लिपटे लाखों लोग फिर से ‘कोहली दर्शन’ की आशा में स्टेडियम भर देंगे.