D Gukesh Net Worth: 18 की उम्र में डी गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियन बन कमाए 11 करोड़, नेटवर्थ ने पार किया 20 करोड़ का आंकड़ा!
D Gukesh (Photo: @FIDE_chess)

D Gukesh Net Worth: भारत के डी गुकेश ने शतरंज की दुनिया में इतिहास रचते हुए 138 साल के शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है. 18 साल की उम्र में गुकेश ने चीन के दिग्गज खिलाड़ी डिंग लिरेन को 14वीं बाजी में हराकर विश्व चैंपियन का ताज अपने नाम किया. इस ऐतिहासिक जीत के साथ गुकेश विश्वनाथन आनंद के बाद भारत के दूसरे वर्ल्ड चैंपियन बन गए. सिंगापुर में आयोजित वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में डी गुकेश ने 7.5-6.5 के अंतर से डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब अपने नाम किया. इस खिताबी मुकाबले की आखिरी बाजी में गुकेश ने काले मोहरों से खेलते हुए डिंग को हराया. जीत के बाद गुकेश काफी भावुक हो गए और अपनी भावनाओं को रोक नहीं सके. यह भी पढ़ें: सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने पर पीएम मोदी ने डी गुकेश को दी बधाई, देखें पोस्ट

गुकेश ने रूस के महान शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्परोव का रिकॉर्ड तोड़ते हुए यह खिताब 18 साल की उम्र में अपने नाम किया. इससे पहले कास्परोव ने 22 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी। गुकेश ने अपने कोच और भारत के पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को अपनी इस सफलता का श्रेय दिया. वह आनंद की चेस अकादमी से प्रशिक्षित हैं.

खिताबी जीत पर प्राइज मनी और बढ़ी नेटवर्थ

वर्ल्ड चैंपियन बनने के साथ ही डी गुकेश को 11.45 करोड़ रुपये की प्राइज मनी मिली. फाइनल में डिंग लिरेन को 9.75 करोड़ रुपये दिए गए. इसके अलावा, हर बाजी जीतने पर 1.69 करोड़ रुपये का इनाम भी दिया गया. गुकेश ने कुल तीन बाजियां जीतीं, जिससे उनकी प्राइज मनी में 5.07 करोड़ रुपये जुड़े. गुकेश की यह जीत उनकी नेटवर्थ के लिए भी बड़ी उपलब्धि रही. वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले उनकी कुल संपत्ति 8.26 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 20 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। उनकी कमाई का मुख्य स्रोत शतरंज के इनाम और विज्ञापन हैं.

डी गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को चेन्नई (तमिलनाडु) में तेलुगु परिवार में हुआ. उनके पिता डॉ. रजनकांत कान, नाक और गले के सर्जन हैं, जबकि मां पद्मा माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. गुकेश ने सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया. 2015 में उन्होंने एशियन स्कूली शतरंज चैंपियनशिप के अंडर-9 वर्ग का खिताब जीतकर पहली बार सुर्खियां बटोरीं. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने खेल को लगातार बेहतर बनाते गए.