Pandit Ram Prasad Bismil Jayanti 2022: पंडित रामप्रसाद बिस्मिल ने कर दिया था अंग्रेजों की नाक में दम, जानें उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

शाहजहांपुर में 11 जून, 1897 को जन्में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Pandit Ram Prasad Bismil) उन जाने-माने भारतीय आंदोलनकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ी. उन्होंने 19 वर्ष की आयु से बिस्मिल उपनाम से उर्दू और हिन्दी में देशभक्ति की सशक्त कविताएं लिखनी आरंभ कर दी. उन्होंने भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों सहित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया.

शाहजहांपुर में 11 जून, 1897 को जन्में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Pandit Ram Prasad Bismil) उन जाने-माने भारतीय आंदोलनकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ी. उन्होंने 19 वर्ष की आयु से बिस्मिल उपनाम से उर्दू और हिन्दी में देशभक्ति की सशक्त कविताएं लिखनी आरंभ कर दी. उन्होंने भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों सहित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया और 1918 में इसमें मैनपुरी षडयंत्र और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रदर्शन करने के लिए अशफाक उल्लाह खान तथा रोशन सिंह के साथ 1925 के काकोरी कांड में भाग लिया.

काकोरी कांड में उनका हाथ होने के कारण उन्हें मात्र 30 वर्ष की आयु में 19 दिसम्बर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई. जब वे जेल में थे तब उन्होंने 'मेरा रंग दे बसंती चोला' और 'सरफरोशी की तमन्ना' लिखे जो स्वतंत्रता सेनानियों का गान बन गए.

देखें वीडियो:

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)

Share Now

\