जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा, "एक नाबालिग (18 वर्ष से कम आयु) को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत झूठे बलात्कार के दावे या यौन उत्पीड़न के झूठे दावे के लिए झूठी गवाही के अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है." HC on Rape Survivor: बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने पर दंड देने वाली IPC की धारा 228A न्यायाधीशों पर लागू नहीं होती है.
जस्टिस रजनेश ओसवाल ने बताया कि POCSO अधिनियम की धारा 22 (2) बलात्कार या यौन उत्पीड़न मामले के बारे में गलत जानकारी देने के लिए किसी बच्चे की सजा पर रोक लगाती है. इस प्रावधान में कहा गया है कि यदि किसी बच्चे द्वारा झूठी शिकायत की जाती है या गलत जानकारी दी जाती है, तो ऐसे बच्चे को कोई सजा नहीं दी जाएगी. इसलिए, अदालत ने यह फैसला सुनाया.
Minor cannot be prosecuted for perjury over false rape claim under POCSO Act: Jammu and Kashmir High Court
report by @mohsinahmaddar https://t.co/kyPHWnyzaV
— Bar & Bench (@barandbench) December 25, 2023
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