'पीड़िता की सहमति कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि उसका IQ केवल 42% था' बॉम्बे हाईकोर्ट ने बौद्धिक रूप से अक्षम घरेलू सहायिका से रेप के दोषी व्यक्ति की अंतरिम जमानत की रद्द
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक 73 वर्षीय व्यक्ति को अंतरिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिसे अपनी बौद्धिक रूप से अक्षम घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति एमएम सथाये की एकल पीठ ने कहा कि अपराध को छिपाने के प्रयासों का सुझाव देने वाले सबूत थे और पीड़िता की सहमति महत्वहीन थी...
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक 73 वर्षीय व्यक्ति को अंतरिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिसे अपनी बौद्धिक रूप से अक्षम घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति एमएम सथाये की एकल पीठ ने कहा कि अपराध को छिपाने के प्रयासों का सुझाव देने वाले सबूत थे और पीड़िता की सहमति महत्वहीन थी, यह देखते हुए कि उसका बौद्धिक भागफल (आईक्यू) केवल 42 प्रतिशत था. मामले के विवरण के अनुसार, अंतरिम ज़मानत याचिका उस व्यक्ति की 20 साल की जेल की सज़ा के खिलाफ़ चल रही अपील का हिस्सा थी. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार के कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद सितंबर 2022 में एक सत्र न्यायालय ने उसे सज़ा सुनाई थी. यह भी पढ़ें: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को मुस्लिम व्यक्ति की हिंदू साथी को अदालत में पेश करने का आदेश दिया
'पीड़िता की सहमति कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि उसका IQ केवल 42% था' बॉम्बे हाईकोर्ट:
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