किसी भी तरह के कपड़े पहनना महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक आदेश में कहा, '"किसी महिला के शील भंग करने के आरोप से किसी आरोपी को दोषमुक्त करने के लिए पीड़ित की पोशाक को कानूनी आधार के रूप में नहीं माना जा सकता है.

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक आदेश में कहा, '"किसी महिला के शील भंग करने के आरोप से किसी आरोपी को दोषमुक्त करने के लिए पीड़ित की पोशाक को कानूनी आधार के रूप में नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा, किसी भी पोशाक को पहनने का अधिकार संविधान द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक स्वाभाविक विस्तार है और इसका एक पहलू है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है. यहां तक ​​कि अगर एक महिला भड़काऊ पोशाक पहनती है जो किसी पुरुष को उसकी शील भंग करने का लाइसेंस नहीं दे सकती है.'

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