अब तक कई राजनीतिक दलों को चुनावी वैतरणी पार करवाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अब स्वयं सियासत में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं. पीके गुरुवार सुबह 11 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि भले ही वे चुनावी रणनीति बनाने में सफल रहे हों, लेकिन बिहार में उनके स्वयं सियासत में उतरना और उनके जन सुराज अभियान को लेकर राह इतनी आसान नहीं है.

माना जा रहा है कि पीके के इस अभियान में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. माना जाता है कि बिहार में सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने वाले राजनीतिक दलों को ही सफलता मिलती है, ऐसे में कहा जा रहा है कि पीके के सामने बड़ी चुनौती जातिय समीकरण को दुरूस्त करने की होगी. कहा यह भी जा रहा है कि वह जन सुराज अभियान के जरिए अन्य पार्टी के नेताओं को जोड़ने का प्रयास करेंगे.

वैसे, देखा जाए तो बिहार में मुख्य धारा से इतर राजनीकि दलों को सफलता कम ही मिलती है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी तामझाम के साथ बिहार की सियासत में प्रवेश करने वाली पार्टी प्लुरल्स पार्टी को अब तक राज्यभर में पहचान नहीं मिल पाई है.

प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, "लोकतंत्र में प्रभावशाली योगदान देने की उनकी भूख और लोगों के प्रति कार्य नीति तैयार करने में मदद करने का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है. अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से."

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