बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को खारिज करते हुए टिप्पणी की, 'बिना किसी यौन मंशा के नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर केवल हाथ फेरना उसकी मर्यादा भंग करने के समान नहीं है.' मामला 2012 का है जब 18 साल के दोषी पर 12 साल की एक लड़की का शील भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरकर कमेंट किया था कि वह बड़ी हो गई है.
जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने सजा को रद्द करते हुए कहा कि दोषी की ओर से कोई यौन मंशा नहीं थी और उसके कथन से संकेत मिलता है कि उसने पीड़िता को एक बच्चे के रूप में देखा था.
Bombay High Court Says Merely Moving Hand Over Back and Head of Minor Girl Without Sexual Intent Does Not Amount to Outraging Modestyhttps://t.co/uy7Ii2MSgm#BombayHighCourt #Minor #Girl #Modesty #Outraging— LatestLY (@latestly) March 13, 2023
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