हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के रंग को लेकर उसे ताना मारना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के तहत क्रूरता नहीं माना जाएगा. न्यायमूर्ति एसएम मोदक ने सदाशिव पार्वती रूपनवर बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में 11 जुलाई को फैसला सुनाया. बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला एक पति को आत्महत्या के लिए उकसाने और अपनी पत्नी के प्रति क्रूरता के लिए दोषी ठहराए जाने से संबंधित था, जिसकी 1993 में उनकी शादी के दो साल बाद 1995 में आत्महत्या कर ली गई थी. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि पत्नी प्रेमा को उसके सांवले रंग और ठीक से खाना न बना पाने के कारण प्रताड़ित किया जाता था. यह भी पढ़ें: कमाई करने वाली पत्नी को भी मिलेगी पति से भरण-पोषण राशि; बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

ट्रायल कोर्ट ने पति को दोषी ठहराते हुए उसे पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. हालांकि, उसके पिता, जिन पर भी आरोप पत्र दायर किया गया था, को बरी कर दिया गया. अदालत ने कहा, "हालांकि प्रेमा को उसके रंग-रूप के कारण ताना मारा जा रहा था, मुझे नहीं लगता कि यह भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के अंतर्गत आता है." बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1998 के निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया और पति को बरी कर दिया.

रंग-रूप पर ताने को 498ए के तहत क्रूरता नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

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