कर्नाटक हाई कोर्ट ने आज, 22 अगस्त को एक ऐसे व्यक्ति की सहायता की, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए (क्रूरता) के तहत अपनी पत्नी को फ्रेंचफ्राइज़ खाने की अनुमति न देने के आरोपों का सामना कर रहा है. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ शिकायत में किए गए दावे तुच्छ थे. इसलिए, राज्य की शीर्ष अदालत ने मामले में व्यक्ति के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा, "पति के खिलाफ किसी भी जांच की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और पत्नी के आरोपों को बल देगा कि उसे प्रासंगिक समय पर फ्रेंच फ्राइज़ खाने को नहीं दिया गया था. इसलिए, पति के खिलाफ सभी जांच पर रोक का अंतरिम आदेश दिया जाना चाहिए." यह भी पढ़ें: Woman Demands 6 Lakh Monthly Maintenance: पति से तलाक के बाद महिला ने हर महीने मांगा 6 लाख मेंटेनेस, भड़की जज- Video

हाई कोर्ट ने जांच अधिकारियों के साथ सहयोग करने और "गायब" न होने के उसके वचन को स्वीकार करने के बाद व्यक्ति को काम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका जाने की भी अनुमति दी. अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी द्वारा उसके खिलाफ की गई शिकायत तुच्छ है और जांच पर रोक लगाने की मांग की.

हाईकोर्ट ने व्यक्ति के केस पर लगाया रोक और उसे काम के लिए अमेरिका जाने की अनुमति दी:

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