कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला के वकील उसके पति से 6 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने के लिए दलीलें दे रहे हैं. महिला के वकील ने अदालत को बताया कि उसे जूते, कपड़े, चूड़ियां आदि के लिए 15,000 रुपये प्रति माह और घर में खाने के लिए 60,000 रुपये प्रति माह की जरूरत है. महिला के वकील ने अदालत को बताया कि उसे घुटने के दर्द और फिजियोथेरेपी और अन्य दवाओं के इलाज के लिए 4-5 लाख रुपये की जरूरत है. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि यह अदालती प्रक्रिया का शोषण है. जज ने आगे कहा कि अगर वह इतना खर्च करना चाहती है, तो खुद पैसे कमाना चाहिए. यह भी पढ़ें: Kolkata Doctor Murder Case: डॉक्टरों ने संज्ञान लेने पर सुप्रीम कोर्ट का जताया आभार, जारी रहेगा विरोध प्रदर्शन
जज ने कहा, "क्या कोई इतना खर्च करता है? वो भी एक अकेली महिला जिसपर कोई जिम्मेदारी नहीं है. अगर वह खर्च करना चाहती है, तो उसे कमाने दो. आपके पास परिवार की कोई और जिम्मेदारी नहीं है. आपको बच्चों की देखभाल करने की ज़रूरत नहीं है. आप यह सब अपने लिए चाहती हैं. आपको समझदारी से काम लेना चाहिए".
पति से तलाक के बाद 6,16,300 रुपये चाहती है महिला, हाई कोर्ट जज ने लगाई फटकार:
A Must watch for all Men & Women.
Wife asked 6,16,300/ month as Maintenance, Honorable Judge said that this is exploitation & beyond tolerance. pic.twitter.com/TFjpJ61MHA
— Joker of India (@JokerOf_India) August 21, 2024
न्यायाधीश ने वकील से भी कहा कि वह उचित राशि लेकर आएं अन्यथा उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि भरण-पोषण या स्थायी गुजारा भत्ता दंडात्मक नहीं होना चाहिए, तथा यह पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित करने के विचार पर आधारित होना चाहिए. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पति के शुद्ध मासिक वेतन का 25% पत्नी को मासिक गुजारा भत्ता भुगतान के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि के रूप में निर्धारित किया है. हालांकि, एकमुश्त निपटान (Lump-sum settlement) का कोई मानक नहीं है. हालाँकि, यह राशि आमतौर पर पति की कुल संपत्ति के 1/5वें से 1/3वें हिस्से के बीच होती है.