भारत के महान योद्धा टीपू सुल्तान का जन्म 10 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) में हुआ था. टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था. उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था. टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सैनापति थे जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने. टीपू को मैसूर के शेर के रूप में जाना जाता है. योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्वान, कुशल योग्य सैनापति और कवि भी थे. टीपू सुल्तान अपने पिता हैदर अली के मृत्यु के पश्चात 1782 में मैसूर की गद्दी पर बैठे थे.
मिसाइल मैन:
महान योद्धा टीपू सुल्तान ने अपने शासन कल में एक ऐसा प्रयोग किया, जो उन्हें इतिहास में मजबूत स्थान देता है. टीपू सुल्तान ने युद्ध के दौरान छोटे-छोटे रॉकेट का इस्तेमाल किया था. दुनिया में वो अपनी तरह का पहला प्रयोग था इसलिए उन्हें दुनिया का पहला मिसाइल मैन भी कहा जाता है. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: जानिए क्या है लालबाग के राजा का इतिहास
रॉकेट के इस्तेमाल ने पलटा रुख:
बीबीसी के एक खबर के अनुसार, दक्षिण भारत में राज्य विस्तार के दौर में टीपू सुल्तान और उनके पिता ने युद्ध में रॉकेट तकनीक का जमकर इस्तेमाल किया. दुश्म की सेना को नुकसान पहुंचाने में तो रॉकेट ज्यादा कारगर नहीं थे लेकिन खलबली जरूर मचा देते थे. उस दौर में टीपू की सेना जिन रॉकेट का इस्तेमाल करती थी. वो छोटे और गजब मारक होते थे. इन रॉकेटों को लॉन्च करने के लिए लोहे की नली का इस्तेमाल किया जाता था. ये रॉकेट 2 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम हुआ करते थे. इतिहासकारों के मुताबिक पोल्लिलोर की लड़ाई में इन्हीं रॉकेटों के इस्तेमाल ने पूरा खेल ही बदलकर रख दिया. इससे टीपू की सेना को खासा फायदा हुआ था.
लंदन के म्यूजियम में मौजूद हैं टीपू सुल्तान के रॉकेट:
बीबीसी की एक खबर के अनुसार,भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल कार्यक्रम के जनक एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब 'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' में लिखा था कि मैंने लंदन के साइंस म्यूजियम में टीपू सुल्तान के कुछ रॉकेट देखे. ये उन रॉकेट में से थे जिन्हें अंग्रेज अपने साथ ले गए थे.
मिसाइल मैन टीपू सुल्तान की मृत्यु:
महान योद्धा टीपू सुल्तान की मृत्यु 4 मई 1799 को 48 वर्ष की आयु में कर्नाटक के श्रीरंगपट्टना में धोके से अंग्रेजों द्वारा क़त्ल किया गया. टीपू सुल्तान अपनी आखिरी साँस तक अंग्रेजो से लड़ते लड़ते शहीद हो गए. उनकी तलवार अंग्रेज अपने साथ ब्रिटेन ले गए. टीपू सुल्तान की मृत्यू के बाद सारा राज्य अंग्रेज़ों के हाथ आ गया.