इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप (Indian Oil Petrol Pump) का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसने एक बड़े ईंधन घोटाले की पोल खोल दी है. इस क्लिप में एक मोटरसाइकिल सवार ग्राहक को पेट्रोल के लिए ₹500 का भुगतान करते हुए देखा जा सकता है, लेकिन उसे वास्तव में केवल ₹405 का ईंधन दिया जाता है. वीडियो में साफ दिखाई देता है कि यूनिफार्म पहने अटेंडेंट ईंधन भरते समय पंप पर हेराफेरी करता है और कैमरे की ओर नज़र उठाने से भी बचता है. जो इस बात का संकेत है कि यह ठगी कोई इत्तेफाक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और नियमित रूप से की जाने वाली प्रक्रिया है. जब ग्राहक ने विरोध जताया, तो अटेंडेंट ने इसे "कर्मचारी की गलती" बता कर टालने की कोशिश की, लेकिन तभी एक दूसरा कर्मचारी बीच में आ गया जिससे यह स्पष्ट हुआ कि मामला सिर्फ एक व्यक्ति की भूल नहीं, बल्कि मिलीभगत का नतीजा है. यह भी पढ़ें: Online Gaming Bill: ऑनलाइन गेमिंग बिल भारत के डिजिटल भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण; आईडीजीएस
वीडियो में मीटर का क्लोज़-अप, स्पष्ट टाइमस्टैम्प और "₹500 में से केवल ₹405" जैसे ओवरले स्पष्ट रूप से इस धोखाधड़ी को साबित करते हैं. यह कदाचार, जिसे "शॉर्ट-फिलिंग" कहा जाता है, उन उपभोक्ताओं को निशाना बनाता है जो अक्सर जल्दी में होते हैं और मीटर की रीडिंग या ईंधन की मात्रा पर ध्यान नहीं दे पाते.
कैमरे में कैद हुई पेट्रोल चोरी की घटना
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भारतीय न्याय संहिता (Indian Judicial Code) (BNS) की धाराओं 318 और 319 के अंतर्गत, ईंधन वितरण प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करना, पेट्रोल की कम मात्रा देना (शॉर्ट-सेलिंग), या मात्रा को लेकर गलत जानकारी देना एक गंभीर कानूनी उल्लंघन माना जाता है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्द होना, या जेल की सजा तक हो सकती है. उपभोक्ता के साथ ऐसा धोखा आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है.













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