Sudhanshu Trivedi Brilliant Video On Bhagwan Colour: हम इंसानों का एक अजीबोगरीब रिश्ता रंग से है. एक तरफ जहां हमारे सारे भगवान नीले, काले या सांवले हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे मन में कहीं ये धारणा बैठ गई है कि गोरापन ही सुंदरता की पराकाष्ठा है. ये विरोधाभास क्या बताता है? क्या सचमुच गोरापन ही श्रेष्ठता का प्रतीक है? बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. उनके तर्क लाजवाब होते हैं.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- यह बात बड़ी अजीब है. पता नहीं कहां से हम लोगों के दिमाग में भर दिया गया है कि यह जो गोरा रंग है वह श्रेष्ठता का प्रतीक है, जबकि हमारे जितने भी भगवान हैं, वह काले हैं, नीले हैं या फिर सांवले हैं. भगवान राम, भगवान विष्णु, भगवान शंकर, भगवान कृष्ण. Sudhanshu Trivedi Viral Video: श्री कृष्ण की 16108 रानियां क्यों थी? सुधांशु त्रिवेदी के इस जवाब से विरोधियों की बोलती बंद
यहां तक की रामचरितमानस में लिखा है- जब माता सीता स्वयंवर से पहले देवी की आराधना करने जाती है तो देवी जी उनको वर देती हैं और कहती हैं- मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो. उन्होंने गोरो तो नहीं बोला ना ? अब पता नहीं कहा से लोगों ने गोरा करने की क्रीमें निकाल दी हैं. उन्होंने ही हमारे दिमाग में ये सब भर दिया.
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Sudhanshu ji is too good 🔥🔥 pic.twitter.com/qRoE3EJdWw
— desi mojito 🇮🇳 (@desimojito) January 17, 2024
इस भ्रम को फैलाने में बाजार का भी खासा रोल रहा है. क्रीम के ट्यूब से लेकर मीडिया के पर्दे तक हर जगह 'गोरापन' एक बेचने लायक प्रोडक्ट बना दिया गया. ये विज्ञापन और फिल्मों के किरदारों ने हमारे सौंदर्य बोध को एकतरफा ढाल दिया. नतीजा ये हुआ कि हमारी अपनी परंपरा, हमारी देवताओं की छवि भी हमें 'गोरे' रूप में दिखने लगी.
लेकिन सच्चाई ये है कि सुंदरता रंग में नहीं, बल्कि आत्मा की चमक में बसती है. राम या कृष्ण के बारे में सोचिए. उनका आकर्षण तो उनके कार्यों, उनके व्यक्तित्व में था. उनके रंग का उनके गुणों से कोई लेना-देना नहीं था.
तो क्यों न अब हम इस रंगभेद के जाल से बाहर निकलें? क्यों न हम अपनी विविधता को गले लगाएं? हर रंग, हर त्वचा का अपना नूर है, अपना आकर्षण है. हम गोरे या सांवले नहीं, इंसान हैं. यही पहचान सबसे ऊपर है. आइए, सौंदर्य के मानक तय करने का हक बाजार और मीडिया से छीनें, और खुद तय करें कि सुंदरता क्या है.