'Raam' हॉलैंड में इस्तेमाल की जाने वाली करंसी नहीं है! डच देश में महर्षि पंथ द्वारा शुरू किए गए बियरर बॉन्ड के बारे में जानें सब कुछ
"Raam" bearer bond (Photo Credits: Twitter)

मुंबई, 4 अगस्त: ट्विटर पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि हॉलैंड (Holland) या नीदरलैंड (Netherlands) में "राम" नाम की करंसी का कानूनी निविदा के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि "राम" दुनिया की सबसे महंगी करंसी है. हालांकि, सच ये है कि "राम" एक मुद्रा नहीं है, बल्कि एक बेरर बॉन्ड (bearer bond) है. ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP) द्वारा 2001 में लॉन्च किया गया, "राम" बांड का उपयोग संयुक्त राज्य और नीदरलैंड के कुछ हिस्सों में हितधारकों (stakeholders) के एक क्लोज ग्रुप के बिच विनिमय (Exchange) के रूप में किया गया. महर्षि महेश योगी ने हॉलैंड में आज से लगभग बीस साल पहले “राम” नाम से करेंसी चलाई थी. 'राम' जिसे शांति बॉन्ड के रूप में भी जाना जाता है, यह दस यूरो के बराबर है और यह अमेरिका के दस डॉलर के बराबर है. यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या भारतीय सेना के जवानों को 2,200 रुपये वाले जूते 25 हजार में मिलते थे? जानिए वायरल मैसेज का सच

हमने फैक्ट चेक में पाया कि 'राम' नाम की करेंसी हॉलैंड में है और इसे वहां मान्यता भी मिली हुई है. हमें फ़रवरी 2003 की एक बीबीसी की खबर मिली, जिसमें बताया गया था कि डच सेन्ट्रल बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि महर्षि महेश योगी द्वारा जारी की गई ‘करेंसी’ राम उसके नियमों का उलंघन नहीं करती. साथ ही बताया गया था कि उस वक़्त हॉलैंड में 100 से अधिक दुकानें इसका लेनदेन करती हैं.

देखें पोस्ट:

इसे अक्टूबर 2001 में ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ द्वारा लॉन्च किया गया था. कई शहरों और गाँवों में, यहां तक कि बड़े मॉल्स में भी इस करेंसी को स्वीकार किया जाता है. फ़िलहाल इसे आर्थिक विशेषज्ञ ‘बेयरर बॉन्ड’ या लोकल करेंसी कहते हैं. नीदरलैंड के 30 शहरों में इसका उपयोग किया जाता है. "राम" किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा या किसी बैंक द्वारा जारी कानूनी निविदा नहीं है. यह वास्तव में एक बेरर बांड है.