घरेलू हिंसा, दहेज पीड़िता और ससुराल के जुल्मों सितम सहने वाली महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने वाले कई एनजीओ (NGO) और आश्रम (Ashrams) देश में चलाए जा रहे हैं. महिलाओं (Women) के हक के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन क्या आपने कभी पुरुषों (Men) के हक की लड़ाई लड़ने वाली किसी संस्था के बारे में सुना है? क्या आपने ऐसा कोई आश्रम देखा है जहां महिलाओं द्वारा प्रताड़ित किए गए पुरुषों को सहारा दिया जाता हो या उनकी मदद की जाती हो? अगर आप ऐसे किसी आश्रम के बारे में नहीं जानते हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे अनोखे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जो पत्नी पीड़ित पतियों को न सिर्फ सहारा देता है, बल्कि उनके हक की लड़ाई लड़ने में मदद भी करता है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद (Aurangabad) से 12 किलोमीटर की दूरी पर शिर्डी-मुंबई हाइवे (Mumbai-Shirdi Highway) पर पत्नी पीड़ित पुरुष आश्रम (Patni Pidit Purush Ashram) मौजूद है. इस आश्रम में सलाह लेने वाले पत्नी पीड़ित पुरुषों की तादात लगातार बढ़ रही है. यह अनोखा आश्रम न सिर्फ पत्नी के जुल्मो-सितम से परेशान पुरुषों को सहारा देता है, बल्कि कानूनी लड़ाई लड़ने में भी उनकी मदद करता है. यही वजह है कि लोग छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से कानूनी सलाह लेने के लिए इस आश्रम में आते हैं. यह भी पढ़ें: पति-पत्नी के रिश्ते में कड़वाहट लाती हैं ये चीजें, सोते समय भूलकर भी इन्हें न रखें बेड के पास
आश्रम में की जाती है कौए की पूजा
इस आश्रम के कार्यालय में थर्माकोल से बना कौआ यहां आने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. इस आश्रम की खासियत यह है कि यहां भगवान की तरह सुबह-शाम कौए की पूजा की जाती है. इस आश्रम में रहने वाले बेचारे पतियों को यह बताया जाता है कि मादा कौआ अंडा देकर उड़ जाती है और नर कौआ चूजों का पालन-पोषण करता है. ऐसी ही स्थिति पत्नी पीड़ित मर्दों की होती है, इसलिए यहां कौए की पूजा की जाती है.
यहां पीड़ितों की होती है काउंसलिंग
इस आश्रम में पत्नी के अत्याचारों से पीड़ित पतियों को न सिर्फ सहारा दिया जाता है, बल्कि हर शनिवार और रविवार को सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक उनकी काउंसलिंग भी की जाती है. इस आश्रम के संस्थापक पीड़ितों के गवाह और सबूतों की फाइल बनाते हैं और कानूनी लड़ाई लड़ने में पीड़ितों की मदद करते हैं. बताया जाता है कि इस आश्रम में रहने वाले पुरुष भोजन खुद ही बनाते हैं और इस आश्रम में रहने वाले सदस्य पैसे जमा करके यहां का खर्च खुद ही उठाते हैं.
इन नियमों का करना पड़ता है पालन
पत्नी पीड़ितों की सहायता के लिए इस आश्रम में तीन कैटेगरी बनाई गई है. जो बिना डरे अपनी पत्नी के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाता है उसे ए कैटेगरी में रखा गया है. ऐसे पति जिन्हें अपनी पत्नी से शिकायत तो है, लेकिन समाज के डर से चुप रह जाते हैं उन्हें बी कैटेगरी में रखा गया है. जबकि अपनी पत्नी और ससुराल वालों के उत्पीड़न को सहने के बाद भी सामने न आने वाले पतियों को सी कैटेगरी में रखा गया है. यह भी पढ़ें: पार्टनर के साथ सोना है सेहत के लिए लाभदायक, कहीं आप इन फायदों से अंजान तो नहीं
इस आश्रम में आने वाले पतियों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. यहां आने वाले बेचारे पुरुष पर उसकी पत्नी की ओर से कम से कम 20 केस दाखिल होना आवश्यक है. गुजारा भत्ता न देने के कारण सलाखों के पीछे रहकर आने वाले व्यक्ति को यहां प्रवेश दिया जाता है. पत्नी द्वारा केस किए जाने के बाद जिस व्यक्ति को नौकरी से हाथ धोना पड़ा हो ऐसा व्यक्ति यहां प्रवेश ले सकता है. पत्नी के अत्याचार सहने के बाद दूसरी शादी करने का ख्याल भी दिमाग में न लाने वाला व्यक्ति इस आश्रम में रह सकता है.