किसी ने सच ही कहा है जहां चाह है वहां राह है. अगर कोई कुछ करने की ठान ले तो उसे कोई भी नही रोक सकता. ऐसी ही एक मिसाल कायम किया है, राजस्थान के रामजल मीणा ने. उनके आगे उनकी गरीबी और पूरे परिवार की जिम्मेदार आड़े आई, उसके बाद भी उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के बाद भी पढ़ने का फैसला किया. रामजल मीणा जब 2014 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में बतौर सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात हुए तो जेएनयू का माहौल उन्हें पसंद आ गया. बचपन से उन्हें पढ़ने में बहुत दिलचस्पी थी, लेकिन हालात की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन जेएनयू का माहौल उन्हें पढ़ाई की ओर खिंचने लगा. रामजल ने एंट्रेंस की तैयारी की कुछ किताबें खरीदी और 9 घन्टे की नौकरी करने के बाद कुछ वक्त निकालकर पढ़ाई शुरू कर दी. रामजल की मेहनत रंग लाई उन्होंने 19-20 का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक कर लिया और बीए रशियन लैंग्वेज के स्टूडेंट बन गए. जेएनयू से पढ़ाई करने के बाद रामजल सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करना चाहते हैं.
राजस्थान के छोटे से गांव भजेड़ा के रामजल ने बताया कि,'हिंदी साहित्य, पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री के साथ मैं बीए कर चुका हूं, लेकिन राजस्थान में ओपन एज्युकेशन से. जेएनयू देखने के बाद फिर पढ़ाई करने का मन हुआ. मैं साइंस का स्टूडेंट था, बीएससी फर्स्ट इयर भी किया, मगर 2003 में शादी हो गई. उसके बाद परिवार की जिम्मेदारी की वजह से पढ़ाई छूट गई. राजमल के तीन बेटियां हैं, वो मुनिरका में एक कमरे में रहते हैं.
जेएनयू को लेकर हुए विवादों को लेकर उन्होंने कहा कि लोगों ने जेएनयू के बारे में "गलत धारणाएं" बना ली है. फरवरी 2016 की घटना के बाद जेएनयू के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि छात्र सिर्फ विरोध करते हैं. यूनिवर्सिटी ने देश को कई सारे विद्वान दिए हैं. मैं भी यहां से पढ़ाई बाद कुछ हासिल करना चाहता हूं.