
आखिर हुआ क्या था
कहानी सीधी सी है. जयपुर के एक महंगे होटल में एक कपल ठहरा हुआ था. वे अपने कमरे में कुछ निजी पल बिता रहे थे. लेकिन उनसे एक भूल हो गई. कमरे की खिड़की का पर्दा हटा रह गया और कपल को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था. शायद उन्हें लगा होगा कि होटल की खिड़की के शीशे ऐसे हैं कि बाहर से अंदर कुछ नहीं दिखता होगा, जैसा कि अक्सर ऐसे होटलों में होता है, लेकिन उनकी यही सोच उन पर भारी पड़ गई.
सड़क के दूसरी तरफ मौजूद लोगों की नज़र जैसे ही उन पर पड़ी, उन्होंने कपल को आगाह करने या अपनी नज़रें हटाने की जगह कुछ और ही किया. लोगों ने अपने-अपने मोबाइल निकाले और वीडियो बनाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते वहां इतनी भीड़ जमा हो गई कि ट्रैफिक जाम लग गया. किसी ने भी यह नहीं सोचा कि वे जो कर रहे हैं, वह कितना गलत और गैर-कानूनी है. बस तमाशा देखने और उसे रिकॉर्ड करने की होड़ मची थी. इसके बाद वही हुआ जो आज के डिजिटल युग में होता है, वीडियो इंटरनेट पर डाल दिया गया और वायरल हो गया.
अब सवाल उठता है: गलती किसकी?
जब से यह वीडियो सामने आया है, इंटरनेट पर एक नई बहस छिड़ गई है कि इस पूरी घटना का ज़िम्मेदार कौन है. आइए, इस पर विचार करें.
कपल की लापरवाही: पहली नज़र में लगता है कि कपल को ज़्यादा सावधान रहना चाहिए था. निजी पलों में होने से पहले प्राइवेसी सुनिश्चित करना उनकी ज़िम्मेदारी थी. यह एक छोटी सी लापरवाही थी, लेकिन इसका नतीजा बहुत बड़ा निकला.
होटल मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी: सवाल होटल पर भी उठता है. एक फाइव-स्टार होटल सिर्फ आलीशान कमरे और अच्छा खाना ही नहीं बेचता, बल्कि सुरक्षा और प्राइवेसी का भरोसा भी बेचता है. क्या होटल को यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि उनके कमरों के शीशे पूरी तरह से प्राइवेट हों या मेहमानों को इस बारे में सही जानकारी दी जाए. इतने बड़े होटल से ऐसी चूक की उम्मीद नहीं की जाती.
असली गुनहगार: तमाशा देखने वाली भीड़: इस कहानी के सबसे बड़े विलेन तो वो लोग हैं जो सड़क पर खड़े होकर वीडियो बना रहे थे. किसी की मजबूरी या गलती का वीडियो बनाना और उसे वायरल करना न सिर्फ गैर-कानूनी है, बल्कि एक गिरी हुई मानसिकता को भी दिखाता है. यह घटना दिखाती है कि हमारे समाज में दूसरों की ज़िंदगी में ताक-झाँक करने और उनका मज़ाक बनाने की प्रवृत्ति कितनी बढ़ गई है. इंसानियत के नाते उन लोगों को कपल को किसी तरह सूचित करना चाहिए था, न कि उनकी इज़्ज़त का तमाशा बनाना चाहिए था.
देखा जाए तो इस घटना में सभी की थोड़ी-थोड़ी गलती है. लेकिन सबसे बड़ी गलती उस भीड़ की है जिसने अपनी सारी नैतिकता ताक पर रखकर किसी के निजी पलों को मनोरंजन का साधन बना लिया. यह घटना सिर्फ एक कपल या एक होटल के बारे में नहीं है. यह हमारे समाज के बारे में है, जो प्राइवेसी का सम्मान करना भूलता जा रहा है और जहाँ किसी को शर्मिंदा करके वायरल होने का चलन बढ़ रहा है.