Fact Check: अंडरग्राउंड डस्टबिन का वायरल वीडियो कर्नाटक के बेलगावी का है? जानें क्या है सच
Garbage Collection Underground Dustbin X/@pallavict and @iamabhaypatil

Fact Check: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक के बेलगावी में अंडरग्राउंड हाइड्रोलिक डस्टबिन सिस्टम शुरू किया गया है. इस वीडियो को शेयर करते हुए कई यूजर्स ने इसे बीजेपी विधायक अभय पाटिल की पहल बताया है.

एक्स (ट्विटर) पर बीजेपी मुंबई की सह-संयोजक पल्लवी सीटी ने वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि यह देश का पहला ऐसा अंडरग्राउंड हाइड्रोलिक डस्टबिन है. उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही 75% कचरा भर जाएगा, सफाई विभाग को ऑटोमैटिक सूचना मिल जाएगी. अगर 100% भरने के बाद भी कचरा नहीं उठाया गया, तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी. इस दावे पर कई लोगों ने विश्वास कर लिया और वीडियो को बेलगावी का वास्तविक दृश्य मान बैठे. लेकिन क्या यह सच है? आइए जानते हैं पूरा मामला…

फैक्ट चेक: वीडियो का सच आया सामने

वायरल वीडियो की जब जांच की गई तो सच्चाई कुछ और ही निकली. वायरल वीडियो कर्नाटक के बेलगावी का नहीं, बल्कि तुर्किये (Turkey) का है. पल्लवी ने बाद में सफाई दी कि उन्होंने वीडियो केवल तकनीक दिखाने के लिए पोस्ट किया था. उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि वीडियो बेलगावी का ही है.

सोशल मीडिया यूजर्स का मानना ​​है कि यह वीडियो कर्नाटक के बेलागावी का है

पल्लवी सीटी ने स्पष्टीकरण जारी किया

बेलगावी में क्या सचमुच लगा है अंडरग्राउंड डस्टबिन?

हां! यह बात पूरी तरह सही है कि बेलगावी में अंडरग्राउंड डस्टबिन सिस्टम शुरू किया गया था, लेकिन यह दिसंबर 2022 की पहल है. बीजेपी विधायक अभय पाटिल के अनुसार यह सिस्टम उनके क्षेत्र के 25 वार्डों में लगाया जाना है. दिसंबर 2022 में पहला डस्टबिन बसवेश्वर सर्कल पर स्थापित किया गया था. इनमें सेंसर लगे होते हैं जो कचरा भरने पर अलर्ट भेजते हैं. यानि तकनीक भारत में भी अपनाई जा रही है, मगर वीडियो में दिखाए गए दृश्य तुर्किये के हैं.

देश के पहले अंडरग्राउंड डस्टबिन के बारे में अभय पाटिल की पोस्ट

वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा पूरी तरह सही नहीं है. यह वीडियो बेलगावी का बताया जा रहा था, जबकि वास्तव में वह तुर्किये (Turkey) का है. हालांकि यह सत्य है कि बेलगावी में अंडरग्राउंड डस्टबिन सिस्टम लगाया गया है, लेकिन यह पहल वर्ष 2022 में ही शुरू की जा चुकी थी. गलतफहमी इसलिए फैली क्योंकि तकनीक का वीडियो तुर्किये का था, और उसे सोशल मीडिया पर बेलगावी की पहल से जोड़कर पेश किया जाने लगा.