कोरोना इफेक्ट: लॉकडाउन के दौरान जल प्रदूषण का स्तर घटा, कोलकाता के घाटों पर दिखीं गंगा डॉल्फिन, देखें तस्वीरें
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay/ Representational Image)

ऐसा लगता है जैसे कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते देश में जारी लॉकडाउन (Lockdown) से समुद्री जीवों और दूसरे जंगली जानवरों (Wild Animals) व पक्षियों (Wild Life) को आजादी मिल गई है. शायद इसलिए लॉकडाउन के चलते जहां लोग अपने घरों में बंद हैं तो वहीं जंगली जानवर, पशु, पक्षी और दुर्लभ समुद्री जीव आसानी से बाहर दिखाई देने लगे हैं. लॉकडाउन के दौरान सालों बाद कोलकाता के घाट (Kolkata Ghats) पर गंगा डॉल्फिन को अठखेलियां करते देखा गया. दरअसल, लॉकडाउन के चलते जल प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है, जिसके चलते दुर्लभ प्रजाति की गंगा डॉल्फिन (Gangetic Dolphins) को कोलकाता घाट के पास देखा गया. कोलकाता घाट पर गंगा डॉल्फिन को देख पर्यावरणविद जहां हैरत में पड़ गए तो वहीं प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा.

हालांकि इससे पहले लॉकडाउन लागू किए जाने के कुछ दिन बाद मायानगरी मुंबई के समुद्री तट पर डॉल्फिन (Dolphin) को देखा गया था. इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न इलाकों में भालू, पहाड़ी बकरी, हिरण, बंदर, मोर, बत्तख जैसे कई प्राणियों को खाली शहर की सड़कों पर सैर करते देखा जा चुका है. यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र: लॉकडाउन के बीच नासिक में घूमते दिखे मोर, कैमरे में कैद हुआ मनमोहक नजारा, देखें वीडियो

कोलकाता घाट पर दिखी गंगा डॉल्फिन 

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है, जिससे हुगली नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार आया है. एक लंबे अरसे बाद साफ पानी ने गंगा डॉल्फिन को अपनी ओर आकर्षित किया है. बताया जाता है कि 30 साल पहले कोलकाता के विभिन्न घाटों पर गंगेय डॉल्फिन का नजर आना बेहद आम बात हुआ करती थी, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण ये घाटों से गायब हो गईं. यह भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश: लॉकडाउन के बीच तिरुमाला की सड़कों पर सैर करते दिखे भालू, वायरल वीडियो देख आप भी रह जाएंगे दंग

डॉल्फिन की दुर्लभ प्रजातियों में शुमार गंगा डॉल्फिन की आबादी मुश्किल से 1,200 से 1,800 के बीच है. साल 2017 में वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के एक दल के विशेषज्ञों ने हुगली में गंगा डॉल्फिन की प्रचुरता और खतरों के बारे में जानकारी दी थी. विशेषज्ञों ने पाया कि हुगली में गंगा डॉल्फिन को खतरा नदियों के अत्यधिक प्रदूषण से था. अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण के अलावा हुगली नदी में डॉल्फिन के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानव गतिविधि और परिवहन है.

आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मछली को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नायलॉन के जाल से भी डॉल्फिन के लिए कुछ उलझने हैं. इसके अलावा नदी में बांधों की मौजूदगी भी गंगा डॉल्फिन के विलुप्त होने के खतरे को बढ़ा रही हैं.