जल ही जीवन है. हमारे जीवन में जल की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हमारे शरीर का आधा से ज्यादा वजन जल का होता है. मनुष्य ही नहीं बल्कि दुनिया का कोई भी जीव या वनस्पति जल के बिना जीवित नहीं रह सकते. हमारे जीवन में जल की तमाम भूमिकाएं हैं. उदाहरण के लिए स्नान, पूजा, खाना बनाने, साफ-सफाई और कपड़े धोने जैसे तमाम कार्य के लिए हमें पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. जल की इन्हीं महत्ता को देखते हुए प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. आइये बात करते हैं विश्व जल दिवस के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बातें, जिसे जानना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है.
जल दिवस का इतिहास
शुद्ध पेयजल के दुरुपयोग एवं निरंतर घटते जल स्तर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को एक प्रस्ताव पास किया और विश्व जल दिवस की महत्ता को सामने रखते हुए विश्व जल दिवस शुरू करने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य ताजे जल के प्रबंधन एवं संरक्षण को बढ़ावा देना था. 22 मार्च 1993 को पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व जल दिवस का ध्यान रखते हुए सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) के प्रति ज्यादा जागरूकता बरतते हुए लक्ष्य-6 को पूरा करने के लिए स्थानांतरित किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य साल 2030 तक सभी के लिए सुरक्षित, स्वच्छ एवं किफायती पेयजल तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने में मदद करना है. विश्व जल दिवस की स्थापना के बाद से विश्व जल दिवस दुनिया भर के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान बन चुका है. यह भी पढ़ें : Gudi Padwa 2023 Rangoli Designs: गुड़ी पड़वा के शुभअवसर पर अपने घरो को सजाएँ इन मनमोहक रंगोली डिजाईन, यहाँ देखें विडियो
विश्व जल दिवस का महत्व
पेयजल सामाजिक-आर्थिक विकास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह मानव स्वास्थ्य और जीविका की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है. स्वच्छ एवं ताजे पेयजल का पोषण, स्वास्थ्य, संस्कृति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए प्रमुख घटक है. इनमें से किसी एक भी मुद्दे को अनदेखा नहीं किया जा सकता. विश्व जल दिवस में ज्यादा से ज्यादा लोगों का जुड़ाव यह दर्शाता है कि वे पेयजल के संसाधनों का सोच-समझ कर उपयोग एवं प्रबंधन कर रहे हैं. लेकिन जल-संरक्षण की दिशा में बहुत कड़े नियम बनाने और जानने की जरूरत है. इसके लिए हर नागरिक को जागरूक रहना होगा, ताकि जल-संरक्षण को बल मिले.
क्यों महत्वपूर्ण है जल संरक्षण
पृथ्वी की सतह 71 प्रतिशत जल से ढका हुआ है, लेकिन जहां तक पेयजल की बात करें तो इसमें केवल 2.5 प्रतिशत जल ही पीने योग्य है. ऐसे में लोगों को लंबे समय तक जल मुहैया हो, यह सुनिश्चित करने के लिए विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. यहां यह जानना सभी के लिए महत्वपूर्ण है कि प्राकृतिक पुनर्चक्रण प्रक्रिया (Natural Recycling Process) पानी की मात्रा को स्थिर रखती है, बढ़ाती नहीं है, लेकिन जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में आने वाले दिनों में पेयजल की स्थिति और चिंताजनक होने की संभावना है, विशेषकर भारत में. पानी के सतत उपयोग में हमारी अक्षमताएं भविष्य की पीढ़ियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं। भू-शास्त्रियों ने काफी पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी है कि आने वाले दशकों में, बढ़ती जनसंख्या के कारण दुनिया के बहुत से देशों में ताजे पानी की पहुंच समाप्त हो जाएगी.
जल संकट के निवारण हेतु कुछ अहम उपाय
* भूजल-दोहन अनियंत्रित न हो, इसके लिए कड़ा कानून बनाना होगा.
* तालाबों, कुओं एवं अन्य जल स्रोतों पर समाज का सामूहिक अधिकार और दायित्व होना चाहिए.
* जल बचत का संस्कार स्कूलों के जरिये हर व्यक्ति को दिया जाना चाहिए.
* जल, जमीन और जंगल तीनों का आपस में गहरा नाता है. इन पर नजर एवं प्रबंधन जरूरी है.
* जल-संरक्षण का कार्य सामाजिक संस्कारों से जोड़ना होगा.
* जल-संरक्षण के परंपरागत तरीकों को जनजागरण के जरिए बढ़ावा देना होगा.
* मुफ्त बिजली योजना को केंद्र द्वारा तत्काल बंद करवाना चाहिए.
* नदियों और तालाबों में प्रदूषित वस्तुओं से दूर रखना होगा.
* रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को मजबूत एवं आवश्यक बनाना चाहिए.