World Water Day 2019: जल के बिना अधूरी है जीवन की कल्पना, इसलिए वर्ल्ड वाटर डे पर आप भी लें पानी बचाने का संकल्प
पानी की एक-एक बूंद कीमती है फिर भी बेहिसाब तरीके से इसकी बर्बादी की जाती रही है, जिसकी नतीजा यह है कि आज दुनिया के अधिकांश देशों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है.
World Water Day 2019: आपने यह तो सुना ही होगा कि जल ही जीवन (Water is life) है, जल है तो कल है या बिन पानी सब सूना है... जी हां, पानी के बिना जीवन की कल्पना (Imagination of life is incomplete without water) नहीं की जा सकती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पृथ्वी (Earth) का एक तिहाई हिस्सा जल से घिरा हुआ है, बावजूद इसके दुनिया के कोने-कोने में पानी का संकट बरकरार है. दुनिया भले ही आधुनिकीकरण और औद्योगिकरण की राह पर आगे बढ़ रही है, लेकिन साफ और पीने लायक जल हर किसी तक पहुंच पाना आज भी संभव नहीं हो सका है. पानी की एक-एक बूंद कीमती है फिर भी बेहिसाब तरीके से इसकी बर्बादी की जाती रही है, जिसका नतीजा यह है कि आज दुनिया के अधिकांश देशों को जल संकट (Water Crisis) का सामना करना पड़ रहा है.
दुनिया भर के लोग पानी की अहमियत को समझ सकें और इसे बचाने का संकल्प लें, इसके लिए हर साल 22 मार्च को वर्ल्ड वाटर डे यानी विश्व जल दिवस (World Water Day)मनाया जाता है. विश्व के हर नागरिक को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी.
खास है इस साल की थीम
हर साल की तरह इस साल भी विश्व जल दिवस को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है. साल 2019 का थीम है कि 'किसी को पीछे नहीं छोड़ना' (Leaving no one behind). इस थीम के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि साफ और स्वच्छ जल सभी का अधिकार है, इससे कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए. यह भी पढ़ें: International Day of Forests 2019: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय वन दिवस, जानिए कैसे जंगलों की लगातार घटती संख्या बन रही है पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती
विश्व जल दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में अपने अधिवेशन में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इसके बाद साल 1993 में पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में जल दिवस के मौके पर जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया गया था.
जल संरक्षण का लें संकल्प
जल ही जीवन है, इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकता है. जल इंसान के जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इस बात को जानते हुए भी लोग पानी को बर्बाद करने से बाज नहीं आते हैं. अगर इसी तरह से पानी की बर्बादी होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा.
22 मार्च यानी विश्व जल दिवस पानी के संरक्षण के प्रति जागरूक होने का दिन ही नहीं है, बल्कि यह पानी बचाने के संकल्प का दिन भी है. आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया के करीब 1.5 अरब लोग पीने के शुद्ध पानी से महरूम हैं. इसलिए पानी को बर्बाद होने से बचाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सके. इस दिन हर व्यक्ति को प्रण लेना चाहिए कि वो पानी को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करेगा और जल संरक्षण में अपना योगदान देगा. यह भी पढ़ें: International Day of Happiness 2019: अच्छी हेल्थ के लिए जरूरी है खुश रहना, जानिए क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस
भारत में गहरा रहा है जल का संकट
भारत में दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में भले ही पानी की किल्लत विकराल रुप में नहीं है, लेकिन देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिलता है. साफ पानी के अभाव में लोग गंदा और दूषित पानी पीकर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. आलम तो यह है कि कई प्रदेशों में महिलाएं कई किलोमीटर तक पैदल चलकर पीने के लिए पानी लाने को मजबूर हैं.
पानी की एक-एक बूंद है कीमती
ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन के कारण कम बारिश, बाढ़ और अकाल जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पानी बचाने के लिए हर व्यक्ति को पहल करनी चाहिए. बारिश होती है तो हमें पीने के लिए पानी मिलता है. इसलिए बारिश के पानी को अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करनी चाहिए. नल में आने वाले पानी को यूं ही बर्बाद नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि आज अगर हम जल बचाएंगे तो ही हमारा आनेवाला कल सुरक्षित रह पाएगा. ऐसे में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी को जागरूर होना होगा और पानी के मोल को समझते हुए पानी को बचाना होगा. यह भी पढ़ें: World Sparrow Day 2019: विश्व गौरैया दिवस आज, इस नन्ही चिड़िया के अस्तित्व को बचाना दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती
पृथ्वी के कितने फीसदी भाग पर है जल
पृथ्वी का करीब 71 फीसदी भाग जल से घिरा हुआ है, जबकि 29 फीसदी भाग पर स्थल है जहां इंसान और दूसरे प्राणी रहते हैं. पृथ्वी की सतह में सबसे ज्यादा पानी समुद्र में फैला हुआ है. बता दें कि कुल पानी का लगभग 97 फीसदी पानी समुद्र में पाया जाता है, लेकिन खारा होने के कारण इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
हालांकि पृथ्वी पर 3 फीसदी हिस्से में मौजूद पानी पीने के लायक है जो ग्लेशियर, नदी, तालाबों में पाया जाता है. इस तीन फीसदी पानी में भी 2.4 फीसदी हिस्सा ग्लेशियरों, दक्षिणी ध्रुवों पर जमा है, जबकि बचा हुआ 0.6 फीसदी पानी नदी, तालाबों, झीलों और कुओं में मौजूद है.