Tulsi Vivah 2018: खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए जरुर करें तुलसी विवाह, ये है पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह 2018 (Photo Credits: Facebook)

Tulsi Vivah 2018: आज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देव उठनी ग्यारस एकादशी है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने शयन करने के बाद निद्रा से जागते हैं. आज से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगा. इस दौरान तुलसी विवाह कराने की परंपरा भी निभाई जाती है. हालांकि कई जगहों पर द्वादशी तिथि को तुलसी शालिग्राम विवाह कराने की परंपरा भी है, जिसके अनुसार इस साल 20 नवंबर को तुलसी विवाह संपन्न कराया जाएगा.

मान्यता है कि तुलसी विवाह कराने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है, इससे कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं तुलसी विवाह का पौराणिक महत्व, इसके पूजन की आसान विधि और शुभ मुहूर्त.

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व- 

हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद में भी इसके कई स्वास्थ्यवर्धक गुण बताए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता को मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है, जिनका विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से हुआ था. कहा जाता है कि शालिग्राम भगवान विष्णु के आठवें अवतार,  श्री कृष्ण का ही रूप माने जाते हैं.

तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है, इसलिए देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निद्रा से जागने के बाद वे सबसे पहले तुलसी की ही प्रार्थना सुनते हैं और इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह का बहुत महत्व बताया जाता है. यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2018: देव उठनी एकदशी के दिन जाग जाएंगे भगवान विष्णु, जानें कब है तुलसी विवाह 

तुलसी विवाह की शुभ तिथि- 

देव उठनी एकादशी सोमवार, 19 नवंबर  2018 को है, कई स्थानों पर इसी दिन तुलसी विवाह की परंपरा है, लेकिन कई जगहों पर एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को तुलसी-शालिग्राम विवाह कराया जाता है. इस बार द्वादशी तिथि मंगलवार, 20 नवंबर 2018 को पड़ रही है.

द्वादशी तिथि आरंभ- 19 नवंबर, सोमवार के दिन दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से,

द्वादशी तिथि समाप्त- 20 नवंबर, मंगलवार के दिन दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक.

इस विधि से करें पूजन- 

  • शाम को परिवार के सभी सदस्य इस तरह से तैयार हों जैसे किसी विवाह समारोह के लिए तैयार होते हैं.
  • घर के आंगन, छत या पूजा घर में बीचों-बीच एक पटिये पर तुलसी का पौधा रखें.
  • तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने की सहायता से सुंदर मंडप सजाएं.
  • इसके बाद देवी तुलसी को चुनरी पहनाकर, सुहाग की समस्त सामग्री अर्पित करें.
  • गमले में शालिग्राम जी रखें, शालिग्राम जी की मूर्ति काले रंग की होनी चाहिए. अगर ऐसा मुमकिन न हो तो विष्णु जी की प्रतिमा ले सकते हैं.
  • शालिग्राम जी पर अक्षत नहीं चढ़ाया जाता है, इसलिए पूजन के दौरान तिल का इस्तेमाल करें.
  • शालिग्राम जी को पीला वस्त्र धारण करवाकर उन्हें दही, घी, शक्कर अर्पित करें,
  • दूध व हल्दी का लेप लगाकर शालिग्राम व तुलसी जी को चढ़ाएं.
  • गणेश पूजन व शादी की सारी रस्में निभाने के बाद शालिग्राम और तुलसी जी के सात फेरे कराएं.
  • कपूर से उनकी आरती उतारें और पूजन के बाद तुलसी की 11 बार परिक्रमा अवश्य करें.
  • इस विधि से विवाह संपन्न कराने से व्यक्ति को कन्यादान का फल मिलता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें: शादी के शुभ मुहूर्त: नवंबर-दिसंबर 2018 में नहीं होंगे कोई भी मांगलिक कार्य, जनवरी 2019 का करना होगा इंतजार, देखें अगले साल के श्रेष्ठ तिथियों की पूरी लिस्ट

तुलसी विवाह से होते हैं ये लाभ 

  • माता तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह करवाने वाले व्यक्ति को कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है.
  • तुलसी विवाह से व्यक्ति के दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और पति-पत्नी के रिश्ते की सारी कड़वाहट दूर होती है.
  • इससे व्यक्ति के कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और कभी न समाप्त होने वाले पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
  • तुलसी विवाह कराने और नियमित रूप से घर में तुलसी की पूजा करने से संपन्नता आती है. इससे विवाहित दंपत्तियों को संतान सुख मिलता है.
  • प्रेमी जोड़ों के विवाह में आने वाली बाधा तुलसी विवाह कराने से दूर होती है. माना जाता है कि इससे उनके विवाह संबंधी अड़चनें दूर होती हैं.

कहा जाता है कि जिन लोगों को कन्या नहीं है वो तुलसी विवाह करवाकर कन्यादान का फल प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि जिस घर में नियमित रूप से तुलसी की पूजा की जाती है उस घर में कभी धन-धान्य और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है. इसलिए अपने खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए तुलसी-शालिग्राम का  विवाह जरूर कराएं.