Budh Pradosh Vrat 2024: नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति हेतु करें बुध प्रदोष व्रत-;अनुष्ठान! जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा-विधि इत्यादि!
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भगवान शिव भोले भंडारी हैं, भक्तों का संकट हरने को हर पल तैयार रहते हैं. यद्यपि हिंदू धर्म शास्त्रों में शिव जी को प्रसन्न करने और विशिष्ठ अनुष्ठानों के लिए विशेष निर्धारित होते हैं, इन्हीं में एक तिथि विशेष होती है, प्रदोष की, जो हर माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ता है. इस बेहद शुभ दिन पर भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा अनुष्ठान से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं, और वर्तमान समय में चल रहे सारे संकट दूर होते हैं. ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानि प्रदोष व्रत 19 जून 2024 को रखा जाएगा. बुधवार होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन प्रदोष काल में उनकी पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है. बुध प्रदोष व्रत बुध ग्रह को मजबूत करने का भी कार्य करता है. कुंडली में कमजोर बुध ग्रह के कारण होने वाली समस्याओं से मुक्ति दिलाने में यह व्रत शुभ माना जाता है. ये भी पढ़े :Nirjala Ekadashi 2024 Wishes: निर्जला एकादशी की इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

प्रदोष व्रत की मूल तिथि एवं पूजा मुहूर्त!

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभ: 07.28 AM (19 जून 2024) से

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्त: 07.49 AM (20 जून 2024) तक

उदया तिथि के अनुसार, 19 जून 2024 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत के नियम एवं पूजा विधि!

प्रदोष के दिन व्रत रखने वाले व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए. इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत-पूजा का संकल्प लें. घर के मंदिर में शिव-पार्वती जी के समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करें.

प्रदोष की पूजा प्रदोष काल यानि संध्या काल में मुहूर्त के अनुसार करनी चाहिए. पूरे दिन उपवास रखते हुए, संध्या काल में कच्चे दूध में दही, शुद्ध घी, गंगाजल, शहद से पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें..अब शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, खोए आदि चढ़ाएं. मां पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें. पूजा के दरमियाँ निम्न मंत्र का निरंतर जाप करें.

'ऊँ नमः शिवाय'

पूजा का समापन आरती से करें. गौरतलब है कि भगवान शिव की पूजा में उन्हें सिंदूर, हल्दी, तुलसी, केतकी न चढ़ाएं.