Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर अपने मित्र-परिजनों को भेजें ये प्रेरक कोट्स!

स्वामी विवेकानंद एक प्रमुख दार्शनिक और वेदांत के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत करने वाले एक महान संत थे. उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था, उनका मूल नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था. वे महान संत रामकृष्ण परमहंस के भक्त थे, उन्हें उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है. 1887 में, उन्होंने सांसारिक सुखों का त्याग करते हुए संन्यास लेने का संकल्प लिया. बाद में अपने गुरु के काम को जारी रखने के लिए रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. उन्होंने अपना संदेश साझा करने के लिए 1893 में अमेरिका की यात्रा की, उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद में भाग लिया. यहां उनके हिंदी में दिये भाषण को खूब तालियां मिलीं. अमेरिकी संसद में मिली इस सफलता के बाद विवेकानंद ने अगले कुछ वर्ष हिंदू दर्शन के आवश्यक सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में सैकड़ों व्याख्यान दिये. उनकी पुण्य-तिथि (4 जुलाई) के अवसर पर आइये उन्हीं के महान कोट्स को भेजकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें. यह भी पढ़ें : National Doctor’s Day 2025: कोविड-19 से भविष्य की महामारियों तक, क्या सबक सीखा भारतीय डॉक्टरों ने? जानें कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट!

* ‘आपको अंदर से बाहर की ओर बढ़ना होगा. कोई भी आपको सिखा नहीं सकता, कोई भी आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता. आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा शिक्षक नहीं है.’

* ‘एक दिन, जब आप किसी समस्या का सामना नहीं करते हैं, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं.’

* ‘सारी शक्ति आपके भीतर है; आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं. उस पर विश्वास करें, यह न मानें कि आप कमजोर हैं; यह न मानें कि आप आधे पागल हैं, जैसा कि आजकल हममें से ज्यादातर लोग करते हैं. आप बिना किसी के मार्गदर्शन के भी कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं. खड़े होइए और अपने भीतर की दिव्यता को व्यक्त कीजिए.’

* ‘हम वही हैं, जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है; इसलिए, इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार जीवित रहते हैं; वे दूर तक यात्रा करते हैं.’

* ‘किसी भी चीज़ से न डरें। आप अद्भुत काम करेंगे। यह निडरता ही है जो एक पल में भी स्वर्ग लाती है.’

* ‘सभी प्रेम विस्तार है, सभी स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम ही जीवन का एकमात्र नियम है। जो प्रेम करता है वह जीता है, जो स्वार्थी है वह मरता है। इसलिए, प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि यह जीवन का एकमात्र नियम है, जैसे आप जीने के लिए सांस लेते हैं.’

* ‘कुछ भी महसूस न करें, कुछ भी न जानें, कुछ भी न करें, कुछ भी न रखें, सब कुछ भगवान को सौंप दें, और पूरी तरह से कहें, 'आपकी इच्छा पूरी हो.' हम केवल इस बंधन का सपना देखते हैं. जागो और इसे छोड़ दो.’

* ‘दूसरों से, जो कुछ भी अच्छा है, उससे सीखो, उसे अपने अंदर लाओ, और अपने तरीके से उसे आत्मसात करो; दूसरों की तरह मत बनो.’

* ‘क्या कभी इस कथन से अधिक भयानक ईशनिंदा हुई है कि ईश्वर का सारा ज्ञान इस या उस पुस्तक तक सीमित है? मनुष्य ईश्वर को अनंत कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है, और फिर भी उसे एक छोटी-सी पुस्तक के आवरण में समेटने की कोशिश करता है!’

* ‘प्रत्येक कार्य को इन चरणों से गुजरना पड़ता है - उपहास, विरोध, और फिर स्वीकृति, जो लोग अपने समय से आगे सोचते हैं, उन्हें गलत समझा जाना निश्चित है.’