
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमरा दिया था. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा, लेकिन इस वैश्विक संकट को भारतीय डॉक्टर ने जिस धैर्य और कुशलता से निभाया उसे सारी दुनिया ने देखा और सराहा, हालांकि डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े अन्य सहायकों ने तमाम सबक भी सीखे जो न केवल आज काम आ रहे हैं, बल्कि भविष्य में भी आने वाली ऐसी महामारियों से लड़ने में मददगार साबित होंगे. कोविड-19 महामारी ने भारतीय डॉक्टरों को न केवल संकट प्रबंधन सिखाया, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली की कमजोरियां उजागर कर उसे सुधारने का भी अवसर दिया. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (1 जुलाई 2025) के अवसर पर आइये जानते हैं इस विषय पर विस्तार से...
1- सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती की आवश्यकता
कोरोना काल ने दिखाया कि भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी असमान रूप से कार्य कर रही हैं. ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों में भारी अंतर था. इस महामारी के दरमियान डॉक्टरों ने निम्न जरूरतों को शिद्दत से महसूस किया. यह भी पढ़ें : National Doctors Day 2025 Quotes: ‘डॉक्टर का मिशन मृत्यु रोकना मात्र नहीं, जीवन की गुणवत्ता सुधारना है!’ ऐसे प्रेरक कोट्स भेजकर चिकित्सक को सम्मानित करें!
* स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना
* टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों को अपनाना आवश्यक है ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में भी इलाज को सुलभ और सहज बनाया जा सके.
* सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका
* ASHA (Accredited Social Health Activist) और ANM (Auxiliary Nurse Midwife) कार्यकर्ताओं का योगदान
2. चिकित्सा संसाधनों की आपूर्ति और प्रबंधन
* कोविड 19 से डॉक्टरों ने सीखा कि मास्क, PPE किट, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति में आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है.
* सप्लाई चेन की बाधाओं को दूर करने के लिए स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दिया गया.
* डिजिटल लॉजिस्टिक ट्रैकिंग सिस्टम का महत्व सामने आया.
3. मेडिकल स्टाफ की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा
कोविड-19 के दरमियान डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सों पर अत्यधिक दबाव था. उन्होंने उन्होंने सीखा कि,
* मानसिक स्वास्थ्य समर्थन (Counseling, Helpline) की विशेष आवश्यकता है.
* लंबे समय तक काम के लिए रोटेशनल ड्यूटी और उचित विश्राम बहुत जरूरी है.
* उन्होंने माना कि प्रशिक्षण और आपदा प्रबंधन का हिस्सा बनना चाहिए.
4. रिसर्च और डेटा आधारित निर्णय
डॉक्टरों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा से जुड़े वैज्ञानिकों ने माना और महसूस किया कि..
* रियल-टाइम डेटा (Real-time data monitoring) की भूमिका बहुत अहम है।
* वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग और वैक्सीन पर त्वरित रिसर्च होनी चाहिए।
* क्लिनिकल ट्रायल्स और साक्ष्य आधारित दवाओं की पहचान आवश्यक है।
5. जन जागरूकता और सूचना प्रबंधन
कोरोना काल में डॉक्टरों ने देखा कि गलत सूचना (misinformation) कभी-कभी कितनी खतरनाक रूप अख्तियार कर सकती है.
* सही समय पर, सही जानकारी पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है.
* स्वास्थ्य कार्यकर्ता, डॉक्टर और सरकार — सभी को संवाद और जनसंपर्क में दक्ष होना चाहिए.
7. टीकाकरण और वैश्विक सहयोग
भारत ने कोविड-19 वैक्सीन विकास और वितरण में वैश्विक कार्य ही नहीं किया, बल्कि सफलता भी हासिल किया है. चिकित्सकों ने माना है कि..
* वैक्सीन डिप्लोमेसी और वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग की बड़ी भूमिका होती है.
* भविष्य की महामारियों के लिए बहुपक्षीय साझेदारी और वैज्ञानिक नेटवर्क बनाना आवश्यक है.