भारत में 16 साल पूर्व 22 जुलाई 2009 को सूर्य ग्रहण देखा गया था, और बताया जा रहा है कि अगला सूर्य ग्रहण 20 मार्च 2034 को केवल कारगिल (जम्मू) क्षेत्र में दिखेगा. 29 मार्च 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. अब बात चंद्रग्रहण की करें, तो भारत में 7 सितंबर, 2025 को दिखाई देगा. इसके बाद 3 मार्च, 2026 को भारत में केवल उपच्छाया ही दिखेगा, जबकि इसके पूर्व लगभग दो साल पूर्व 5 मई 2023 को चंद्रग्रहण देखा गया था. कहने का आशय यह कि हर साल चार से पांच ग्रहण (सूर्य एवं चंद्र) पड़ने के बावजूद भारत में ग्रहण के नजारे अपेक्षाकृत कम दिखते हैं. आइये जानते हैं इसकी क्या वजह हो सकती है.
भारत में सूर्य और चंद्र ग्रहण कम दिखने के कुछ कारण
ग्रहण की कक्षा: सूर्य और चंद्र ग्रहण केवल तब होते हैं, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक विशिष्ट रेखा में होते हैं, जिसे 'नोड' कहा जाता है. चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से थोड़ी झुकी हुई होती है, जिससे ग्रहण की घटनाएं केवल कुछ विशेष स्थानों पर होती हैं. भारत में ये घटनाएं उन विशेष क्षेत्रों में ही दिखाई देती हैं, जहां यह रेखा ठीक से मेल खाती है. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2025: चैत्र मास की अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएगी? जानें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा का महत्व एवं पूजा-विधि इत्यादि!
भौगोलिक स्थिति: पृथ्वी पर ग्रहण विशेष स्थानों पर अधिक दिखाई देते हैं, और यह पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों पर निर्भर करता है कि ग्रहण कितने आम हैं. भारत का स्थान ऐसे क्षेत्रों में आता है, जहां सूर्य और चंद्र ग्रहणों का प्रभाव सीमित होता है, इसलिए उन्हें बार-बार देखना मुश्किल होता है.
ग्रहण का समय और स्थान: ग्रहण कभी-कभी रात या दिन के ऐसे समय में होते हैं, जब वे केवल विशेष स्थानों पर ही दिखाई देते हैं. चंद्र ग्रहण पूरी रात में दिखता है, जबकि सूर्य ग्रहण केवल दिन के समय में होता है और इसका प्रभाव एक संकुचित क्षेत्र तक सीमित रहता है.
इसलिए, जबकि ग्रहण नियमित रूप से होते हैं, भारत में इनका दिखना अक्सर सीमित समय और स्थानों तक ही रहता है.
ग्रहण का पथ: सूर्य ग्रहण पृथ्वी पर एक बहुत ही विशिष्ट पथ पर दिखाई देता है, इसलिए आप जहां रहते हैं वहां से जो सूर्य ग्रहण आप देख सकते हैं वह चंद्र ग्रहण की तुलना में कम बार देखा जाता है.













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