Solar Eclipse and Doomsday Conspiracy Theories: सूर्य ग्रहण के दिन हो जाएगा दुनिया का अंत? क्या रिंग ऑफ फायर और महाप्रलय के बीच है कोई संबंध
सूर्य ग्रहण और दुनिया का अंत (Photo Credits: Pixabay)

Solar Eclipse and Doomsday Conspiracy Theories: सूर्य (Sun) जब चंद्रमा (Moon) की छाया से लगभग पूरी तरह ढंक जाता है तो सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) की यह खगोलीय घटना घटती है. सूर्य ग्रहण के दौरान जब चंद्रमा की छाया पड़ने पर सूर्य के बाहरी किनारे प्रकाशित होते हैं तो इस अवस्था को रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) कहा जाता है, क्योंकि सूर्य एक चमकती हुई अंगूठी की तरह दिखाई देता है. रिंग ऑफ फायर यानी कुंडलाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) की यह खगोलीय घटना 21 जून को घटने वाली है. कुछ षड़यंत्र सिद्धांतकारों की मानें तो जिस दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) होगा, उसी दिन दुनिया का अंत (End of The World) भी होगा यानी 21 जून महाप्रलय (Doomsday) का भी दिन है.

दरअसल, इस सूर्य ग्रहण की घटना को लेकर कई मिथक और अंधविश्वास जुड़े हैं, जो इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि ग्रहण खराब है. कुछ लोगों का मानना है कि यह ग्रहण कई परेशानियां साथ लेकर आ सकता है. इसे प्रलय, युद्ध, भूकंप, बाढ़ जैसी कई आपदाओं से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके साथ ही षड़यंत्र सिद्धांतकारों के अनुसार 21 जून को दुनिया का अंत हो जाएगा. क्या सूर्य ग्रहण और महाप्रलय के बीच कोई गहरा कनेक्शन है, चलिए इससे जुड़े मिथकों और अंधविश्वास के बारे में विस्तार से जानते हैं. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2020: 'रिंग ऑफ फायर' होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, देश में कहीं वलयाकार तो कहीं आंशिक तौर पर दिखेगी यह खगोलीय घटना

प्राचीन भय

सूर्य ग्रहण को लेकर लगाई जा रही अटकलों का संबंध 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व से है. कहा जाता है कि पेरोस के एक ग्रीक द्वीप पर एक कवि द्वारा कुल सूर्य ग्रहण का उल्लेख बनाया गया था. इस दौरान ग्रहण ने मध्यरात्रि को काली रात में बदल दिया था और अंधेरे को मानव जाति के खतरनाक बताया गया था. हालांकि उस समय ग्रहण को लेकर स्पष्ट शोध नहीं हुए थे या उसे अच्छी तरह से समझा नहीं गया था.

सूर्य-चंद्रमी की लड़ाई

ग्रहण को लेकर अधिकांश लोगों का मानना था कि आसमान में सूर्य और चंद्रमा के बीच किसी प्रकार की लड़ाई को ग्रहण कहा जाता है. आज भी लोगों के मन में यह धारणा है कि चंद्रमा सूर्य को खा जाता है, जिससे दिन में पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है. एशिया और चीन के कुछ हिस्सों में तो ऐसी धारणा है कि एक अजगर सूर्य को निगलता है, जिसके कारण यह खगोलीय घटना घटती है. यह भी पढ़ें: Annular Solar Eclipse 2020: साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को, जानें इस ग्रहण का समय और 'रिंग ऑफ फायर' से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

बाइबिल रेफरेंस

मध्य ईसाई युग में लोगों ने ग्रहण को दुनिया के अंत के संकेत के रूप में संदर्भित किया था. रहस्योद्घाटन पुस्तक में सूर्य के काले होने का उल्लेख और चंद्रमा के रक्त की तरह लाल होने का उल्लेख मौजूद है. इसके अलावा इसमें एक महाविनाशकारी भूकंप का भी उल्लेख मिलता है. ऐसे में इस सूर्य ग्रहण को दुनिया की अंत का एक और संकेत माना जा रहा है.

सूर्य पर हमला

कृषक पंचांग के अनुसार, मूल जनजातियों की सूर्य ग्रहण को लेकर धारणा सूर्य पर हमले से जुड़ी थी. चिप्पेवा और पेरू में जनजातियों की धारणा के अनुसार, सूर्य पर हमले की स्थिति सूर्य ग्रहण होती है. उन्हें लगा कि सूरज पर जानवर हमला कर रहे हैं, इसलिए उन्हें डराने के लिए जनजातियों ने आसमान में तीर चलाए थे. यह भी पढ़ें: क्या 21 जून को खत्म हो जाएगी दुनिया? माया कैलेंडर में किए गए इस महानिवाशकारी दावे को वैज्ञानिकों ने बताया गलत

मौसम परिवर्तन

सूर्य ग्रहण के बाद गिरने वाली ओस या कोहरे को खतरनाक माना जाता है. जापानी लोगों का मानना था कि ग्रहण के बाद गिरने वाली ओस की बूंदे जहर हो सकती हैं. ट्रांसिल्वेनिया के लोगों का मानना था कि ग्रहण प्लेग का कारण बन सकता है.

गौरतलब है कि सूर्य ग्रहण और महाप्रलय से जुड़ी ये कुछ धारणाएं है जो सदियों से प्रचलित हैं. इन धारणाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे सदियों से सूर्य ग्रहण के अंधेरे को खतरे की निशानी माना जाता रहा है. हालांकि सदियों से हर साल सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटनाएं आसमान में देखने को मिल रही हैं, जिसके साथ दुनिया के अंत की ओर इशारा करने वाली तमाम मान्यताएं झूठी साबित होती रही हैं. ऐसे में हम भी आपसे यही अपील करते हैं कि सूर्य ग्रहण के दिन दुनिया के अंत से जुड़ी प्राचीन मान्यताओं या धारणाओं के आधार पर भय न फैलाएं.